वो जो बो गयी थी कभी तुम...
मेरे मन के आँगन में
वो गुलाब की कलम
वो गुलाब की कलम
आज वो बन गयी
मेरे इज़हार-ए-जज़्बात की कलम
आज भी खुशबू है इसमें
तेरे पाक हसीं हाथो की
जो भी लिखता हूँ उसे
जो भी लिखता हूँ उसे
इबादत बना देती है
तेरे अहसास की कलम
तेरे अहसास की कलम
वो जो बो गयी थी कभी तुम...
मेरे मन के आँगन में.......
No comments:
Post a Comment