कल रात....
मेरे दिल-ए-हाल के मानिंद था मेरे शहर का मौसम
आँखों में कुछ धुंद सी थी
सीने में यादो के मचलते तूफ़ान
हर अंग से बरसते प्यार सा वो सर्द पानी
और मन में नई बिजलियों सी वो आतुर जवानी
अब तो आजा ...
के आज मौसम भी है मौका भी है दस्तूर भी है
फिर ना कहना के हमने बुलाया नहीं तुमको रानी.
--मन--
मेरे दिल-ए-हाल के मानिंद था मेरे शहर का मौसम
आँखों में कुछ धुंद सी थी
सीने में यादो के मचलते तूफ़ान
हर अंग से बरसते प्यार सा वो सर्द पानी
और मन में नई बिजलियों सी वो आतुर जवानी
अब तो आजा ...
के आज मौसम भी है मौका भी है दस्तूर भी है
फिर ना कहना के हमने बुलाया नहीं तुमको रानी.
--मन--
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