एक मुद्दत से.....
तेरी मदहोश जुल्फों को
ना लहराते देखा
जब भी देखा इन्हे....बस दूर से
गुमसुम..... मुस्कुराते देखा
आप कुछ भी कीजिये
मगर इन्हे बांधा ना कीजिये
मै भी बंध जाता हूँ
मेरा खैरख्वाह भी
और उसके साथ
सारी कायनात भी
एक मुद्दत से.....
तेरी मदहोश जुल्फों को
ना लहराते देखा
जब भी देखा इन्हे....बस दूर से
गुमसुम..... मुस्कुराते देखा।
तेरी मदहोश जुल्फों को
ना लहराते देखा
जब भी देखा इन्हे....बस दूर से
गुमसुम..... मुस्कुराते देखा
आप कुछ भी कीजिये
मगर इन्हे बांधा ना कीजिये
मै भी बंध जाता हूँ
मेरा खैरख्वाह भी
और उसके साथ
सारी कायनात भी
एक मुद्दत से.....
तेरी मदहोश जुल्फों को
ना लहराते देखा
जब भी देखा इन्हे....बस दूर से
गुमसुम..... मुस्कुराते देखा।
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