डोलू
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प्यारी सी सुंदर सी
छोटी सी ,नाटी थी वो
शांत रहती पर खूब हँसती थी
सबके मन को भाती थी वो
डोलू मैं कहता था तो ,मुँह फुला
चिढ़ चिढ़ वो जाती थी वो
अपनी निश्चल हँसी से सारे घर को
उपवन बनाती थी वो
अमित से मिलकर तो वो
और भी सँवर गयी
अच्छी तो हमेशा से ही थी
अब और भी निखर गयी
सारे परिवार को वो आज
हंसकर खूब अच्छे से सम्भालती है
साल दर साल खुद को भी वो
पहले से और बेहतर बनाती है
मिलते ही उससे अब तो
आश्चर्य कुछ यूँ लगता है
क्या ये वोहि प्यारी सी
शांत सी बच्ची है ?
अरे भई अब तो ये एक
प्यारा सा चहचहाता पंछी है
पर कितना भी बदल जायें डोलू मे
मेरे लिए तो वो आज भी वोही
प्यारी सी सुंदर सी
छोटी सी ,नाटी थी वो
शांत रहती पर खूब हँसती थी
सबके मन को भाती थी वो
डोलू मैं कहता था तो ,मुँह फुला
चिढ़ चिढ़ वो जाती थी वो
अपनी निश्चल हँसी से सारे घर को
उपवन बनाती थी वो।
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