Friday, October 17, 2014

हसीन गुलाब सी थी वो | HINDI KAVITA


" जब पहल- पहल देखा उसको

हसीन गुलाब सी थी वो ,
फलक ( आसमान) पे मुस्कुराता हुआ 

महताब ( चाँद ) सी थी वो 


लोग कहते रहे मुझको 
इतनी कमाल कहाँ है वो *मन* ?
*मन* ये कहता रहा के
शब्दकोष भी कम है जो उसे परिभाषित करे 
तू क्या जाने के

सारी कायनात की जद्दोजहद में बस है वो 

कैसे कहूँ , पर क्यों ना कहूँ 

के सारी कायनात है वो 


जब पहल- पहल देखा उसको 

तो हसीन गुलाब सी थी वो ,
फलक (आसमान) पे मुस्कुराता हुआ 

महताब ( चाँद ) सी थी वो "

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