Saturday, October 4, 2014

जब तुम साथ थी | hindi kavita


" तुम मेरे साथ थीं , तो मै भी कुछ था
अब तुम साथ नहीं , तो मै भी कहाँ कुछ रहा


तुम वापिस आ जाओ ना 
जीवन-सूरज बस अब बुझने को है
तेरी चांदनी मिल जाये तो 

शायद चमक सकूँ मैं भी फिरसे 

कुछ पल के लिए ही सही , 
सूरज सा नहीं , तो बस जुगनू सा ही सही 

रौशनी को ,जीवन को , मैं महसूस तो करुँ

चलते-चलते ही सही , ढलते-ढलते ही सही 


तुम मेरे साथ थीं , तो मै भी कुछ था
अब तुम साथ नहीं , तो मै भी कहाँ कुछ रहा "



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