" तुम मेरे साथ थीं , तो मै भी कुछ था
अब तुम साथ नहीं , तो मै भी कहाँ कुछ रहा
तुम वापिस आ जाओ ना
जीवन-सूरज बस अब बुझने को है
तेरी चांदनी मिल जाये तो
शायद चमक सकूँ मैं भी फिरसे
कुछ पल के लिए ही सही ,
सूरज सा नहीं , तो बस जुगनू सा ही सही
रौशनी को ,जीवन को , मैं महसूस तो करुँ
चलते-चलते ही सही , ढलते-ढलते ही सही
तुम मेरे साथ थीं , तो मै भी कुछ था
अब तुम साथ नहीं , तो मै भी कहाँ कुछ रहा "
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