अक्सर तेरे शहर के नज़दीक तक आता जाता हूँ मैं
हर ख़ूबसूरत श मैं तेरी ख़ुशबू महसूस कर पाता हूँ मैं
बहुत सोचता हूँ कि कभी मिलूँ तुम्हें,साथ कॉफ़ी पियूँ तुम्हारे
ज़िंदगानी की मसरूफ़ियात से मगर हार जाता हूँ मैं
क्यूँ नहीं ,कभी यूँही ,यकायक तुम ही आ जाओ दीवाने के शहर 
बस इसी हसीन ख़्वाब में ज़िंदगानी जिए जाता हूँ मैं।
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