दोस्ती और इश्क़
एक जैसे होते हैं :)
कभी तो ये पहली नज़र में ही हो जाते हैं
और कभी इसे होने में बरसों लग जाते हैं :)
मनु और सुशील की मुलाकात तो कोई 30 साल पुरानी है
पर उनकी दोस्ती भी कोई पहली बार में ही मिलते ही नहीं हुयी
दोनों की दोस्ती होने में भी सालों लगे :)
असल में गलती मनु की ही थी
मनु था ही इतना नकचढ़ा
और हमेशा दूसरों में कमियां निकलने वाला
मनु पढ़ने में थोड़ा अच्छा था
दिखता भी अच्छा था
तो मनु अपने सामने कहाँ किसी को कुछ समझता था ?
वहीँ सुशिल उस समय
थोड़ा मोटू-गब्दू और मोटा चश्मा लगाने वाला लड़का था
पर हमेशा हसने-हँसाने वाला
और गज़ब का हाजिरजवाब :)
मनु और सुशिल को
मनु के पड़ोस के दोस्त भारत ने मिलवाया
सुशिल और भारत एक ही स्कूल में पढ़ते थे
तो सुशिल अक्सर कभी भारत से वैसे ही मिलने ,
कभी क्रिकेट खेलने मनु और भारत की गली में आता रहता था
सुशिल अक्सर कोशिश करता मनु से बात करने की
पर मनु जाने किन हवाओं में रहता था
वो सुशिल से बात तो करता
पर गहरी दोस्ती जैसा कोई व्यवहार कहाँ करता था ?
मनु बहुत हैरान हुआ था
जब सुशिल ने मनु को अपने जन्मदिन पर अपने घर बुलाया
उस पार्टी में मनु को छोड़कर सारे बस सुशिल के स्कूल के दोस्त थे
उसी दिन सुशिल को घर में अपना अलग से एक कमरा भी मिला था
सुशिल बहुत खुश था
उसने कमरे को सजाया था
( यहाँ में ये बता दूँ की मनु और सुशिल में एक चीज़ थी
जो COMMON थी
वो थी "पूजा भट्ट "
मनु और सुशिल दोनों की फिल्म स्टार "पूजा भट्ट " के लिए दीवानगी :) )
पूजा भट्ट 1991 में अपनी मूवी "दिल है के मानता नहीं " के बाद
उस समय की सबसे मशहूर स्टार थी )
अपने 18 th जन्मदिन पर सुशिल ने अपने कमरे में
" पूजा भट्ट " का एक पोस्टर लगाया था
और आश्चर्यजनक रूप से उस पोस्टर का इनोग्रेशन कराया मनु से
सारे दोस्त हैरान थे :)
खुद मनु भी :)
क्युकी तब तक ना तो मनु और सुशिल में कोई गहरी दोस्ती थी
और उस पार्टी में सुशिल के बहुत पुराने और गहरे कई दोस्त मौजूद थे
इस बात से मनु को खुशी तो हुयी
पर तब भी मनु ने कोई ख़ास इंटरेस्ट नहीं दिखाया सुशिल से दोस्ती बढ़ाने में
समय बीता
कोइन्सिडेंट था की मनु और सुशिल को एक ही कॉलेज सत्यवती में दाखिला मिला
जहाँ सुशिल ने कोम्मेर्से में अच्छे मार्क्स लिए थे
वहीँ मनु ने साइंस में बहुत बुरे मार्क्स :)
तो मनु को साइंस में कहीं दाखिला नहीं मिला तो
मनु को भी कॉलेज में कॉमर्स ही लेना पड़ा
और अब अलग-अलग स्कूल
और अलग-अलग सब्जेक्ट पढ़ने वाले ये दोनों बन्दे
मनु और सुशिल
एक ही कॉलेज के एक ही कोर्स में
और यहाँ तक की एक ही सेक्शन में थे
यहाँ भी दोनों में दोस्ती तो थी
पर फिर वही बात
इतनी गहरी दोस्ती अब भी ना थी :)
मनु को फर्स्ट ईयर कॉलेज में भी खुद पे बहुत दम्भ था
उसे लगता था ये कॉलेज उसके लायक नहीं है
और इस कॉलेज के लड़के-लड़कियां तो बिलकुल उसके स्टैण्डर्ड के नहीं हैं
यहाँ तक की जब एक अच्छी, खूबसूरत लड़की ने
खुद मनु को आगे से प्रोपोज़ किया
पर वो भी मनु को अपने स्तर की नहीं लगी :)
और उसने मन कर दिया था :)
इतना बड़ा भोंदू था मनु :)
और अपनी झूठी शान में घिरा :)
पर वैसे कुछ भी कहें मनु थोड़ा शार्प तो था
तो पहले कभी भी कोम्मेर्से,अकाउंट्स
ना पढ़े होने के बावजूद मनु ने फर्स्ट ईयर में बहुत अच्छे मार्क्स लाये
यहाँ तक की " हिंदी " में उसने कॉलेज टॉप किया
और सेकंड ईयर में मनु का माइग्रेशन
मनु के मनपसंद शिवाजी कॉलेज में हो गया :)
अरे पर ये क्या सुशिल भी अच्छे मार्क्स लाया था
और सुशिल का माइग्रेशन भी शिवाजी कॉलेज में हो गया था :)
अब शिवाजी कॉलेज में
मनु और सुशिल की दोस्ती ढंग से शुरू हुयी
अब मनु ने जाना के
सुशिल आखिर बन्दा क्या है :)
सुशिल इतना हाज़िरजवाब ,
हसने-हसाने वाला
शरारती इतना के एक बार शर्त लगने पर
चलती हुयी क्लास में ,
जहाँ प्रोफेसर पढ़ा रहे थे
उसने धड़ाम से गेट खोला और एक सिक्का प्रोफेसर को खींच के मारा
वो सिक्का दो मिनिट तक फर्श चूमता हुआ आवाज़ करता रहा
और प्रोफेसर हैरान के ये क्या हुआ :)
और सारे स्टूडेंट्स का हँस-हँस के बुरा हाल :)
और दूसरी घटना में
मनु और सुशिल की क्लास की लड़कियों ने
एक खाली पड़ी क्लासरूम को ही अपना गर्ल्स अड्डा बना लिया था
वो रोज़ आती और उस क्लासरूम में अंदर जाकर अंदर से कुंडी लगा लेती
कई दिन ऐसे ही बीत गए
मनु,सुशिल और कई लड़के परेशान
के भाई ऐसे हम इन लड़कियों से कैसे बात करेंगें ,
दोस्ती करेंगें ,
और कैसे पटायेंगें :)
अगर ये रोज़ ऐसे ही एक कमरे के अंदर बंद रहेंगी तो :)
अब इसका भी तोड़ निकाला सुशिल ने ही :)
अगले दिन लड़कियां कॉलेज आईं
उस कमरे के अंदर गयीं
हैरान :)
कमरा बंद कैसे करें :)
क्युँकी किसी ने पूरा दरवाज़ा ही उतार कर गायब कर दिया था :)
ये भी शरारती सुशिल का काम था
लड़कियों ने हँस-हँस कर इस कारनामे की पूछताछ की :)
और इसी बातचीत में अब शिवाजी कॉलेज की सारी खूबसूरत लड़कियां
सुशिल और मनु के ग्रुप में थी
अब अच्छी दोस्त बन गयीं :)
( यहां तक की आज तक अच्छी दोस्त हैं :) )
साहसी भी गज़ब था सुशिल :)
एक बार
कॉलेज के दो गुंडों ने सुशिल को भरे कॉलेज में सीढ़ियों में रोका
एक ख़ास लड़की का नाम लेकर धमकाया
" तू आज के बाद उस लड़की से मिला तो ...... "
पर सुशिल तो आखिर सुशिल था :)
अगले दिन फिर सुशिल "अमेरिकनों रेस्त्रो " में उसी लड़की से मिलने गया :)
उसके साथ कॉफ़ी पी
वो दोनों गुंडे वहां आये
उन्होंने सुशिल को फिर धमकाया
पर सुशिल भाई तो फिर सुशिल भाई है :)
वो फिर भी तस से मस नहीं हुआ :)
गज़ब का हिम्मती, गज़ब का हसोड़ :)
कब कैसे मनु का गहरा दोस्त बनता चला गया था सुशिल
मनु को पता ही नहीं चला
दोनों साथ हँसे
कभी-कभी साथ दुखी भी हुए :)
अब तो बस जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है
और मनु और सुशिल की दोस्ती बढ़ती जा रही है
मनु को आज भी ये कहने में शर्म नहीं की इसका सारा श्रेय
सुशिल को जाता है
क्युकी मनु तो आज भी नहीं बदला
वैसा ही है
दम्भी और एरोगेंट :)
#मन7 #दोस्ती #friends #friendship
manojgupta0707.blogspot.com
एक जैसे होते हैं :)
कभी तो ये पहली नज़र में ही हो जाते हैं
और कभी इसे होने में बरसों लग जाते हैं :)
मनु और सुशील की मुलाकात तो कोई 30 साल पुरानी है
पर उनकी दोस्ती भी कोई पहली बार में ही मिलते ही नहीं हुयी
दोनों की दोस्ती होने में भी सालों लगे :)
असल में गलती मनु की ही थी
मनु था ही इतना नकचढ़ा
और हमेशा दूसरों में कमियां निकलने वाला
मनु पढ़ने में थोड़ा अच्छा था
दिखता भी अच्छा था
तो मनु अपने सामने कहाँ किसी को कुछ समझता था ?
वहीँ सुशिल उस समय
थोड़ा मोटू-गब्दू और मोटा चश्मा लगाने वाला लड़का था
पर हमेशा हसने-हँसाने वाला
और गज़ब का हाजिरजवाब :)
मनु और सुशिल को
मनु के पड़ोस के दोस्त भारत ने मिलवाया
सुशिल और भारत एक ही स्कूल में पढ़ते थे
तो सुशिल अक्सर कभी भारत से वैसे ही मिलने ,
कभी क्रिकेट खेलने मनु और भारत की गली में आता रहता था
सुशिल अक्सर कोशिश करता मनु से बात करने की
पर मनु जाने किन हवाओं में रहता था
वो सुशिल से बात तो करता
पर गहरी दोस्ती जैसा कोई व्यवहार कहाँ करता था ?
मनु बहुत हैरान हुआ था
जब सुशिल ने मनु को अपने जन्मदिन पर अपने घर बुलाया
उस पार्टी में मनु को छोड़कर सारे बस सुशिल के स्कूल के दोस्त थे
उसी दिन सुशिल को घर में अपना अलग से एक कमरा भी मिला था
सुशिल बहुत खुश था
उसने कमरे को सजाया था
( यहाँ में ये बता दूँ की मनु और सुशिल में एक चीज़ थी
जो COMMON थी
वो थी "पूजा भट्ट "
मनु और सुशिल दोनों की फिल्म स्टार "पूजा भट्ट " के लिए दीवानगी :) )
पूजा भट्ट 1991 में अपनी मूवी "दिल है के मानता नहीं " के बाद
उस समय की सबसे मशहूर स्टार थी )
अपने 18 th जन्मदिन पर सुशिल ने अपने कमरे में
" पूजा भट्ट " का एक पोस्टर लगाया था
और आश्चर्यजनक रूप से उस पोस्टर का इनोग्रेशन कराया मनु से
सारे दोस्त हैरान थे :)
खुद मनु भी :)
क्युकी तब तक ना तो मनु और सुशिल में कोई गहरी दोस्ती थी
और उस पार्टी में सुशिल के बहुत पुराने और गहरे कई दोस्त मौजूद थे
इस बात से मनु को खुशी तो हुयी
पर तब भी मनु ने कोई ख़ास इंटरेस्ट नहीं दिखाया सुशिल से दोस्ती बढ़ाने में
समय बीता
कोइन्सिडेंट था की मनु और सुशिल को एक ही कॉलेज सत्यवती में दाखिला मिला
जहाँ सुशिल ने कोम्मेर्से में अच्छे मार्क्स लिए थे
वहीँ मनु ने साइंस में बहुत बुरे मार्क्स :)
तो मनु को साइंस में कहीं दाखिला नहीं मिला तो
मनु को भी कॉलेज में कॉमर्स ही लेना पड़ा
और अब अलग-अलग स्कूल
और अलग-अलग सब्जेक्ट पढ़ने वाले ये दोनों बन्दे
मनु और सुशिल
एक ही कॉलेज के एक ही कोर्स में
और यहाँ तक की एक ही सेक्शन में थे
यहाँ भी दोनों में दोस्ती तो थी
पर फिर वही बात
इतनी गहरी दोस्ती अब भी ना थी :)
मनु को फर्स्ट ईयर कॉलेज में भी खुद पे बहुत दम्भ था
उसे लगता था ये कॉलेज उसके लायक नहीं है
और इस कॉलेज के लड़के-लड़कियां तो बिलकुल उसके स्टैण्डर्ड के नहीं हैं
यहाँ तक की जब एक अच्छी, खूबसूरत लड़की ने
खुद मनु को आगे से प्रोपोज़ किया
पर वो भी मनु को अपने स्तर की नहीं लगी :)
और उसने मन कर दिया था :)
इतना बड़ा भोंदू था मनु :)
और अपनी झूठी शान में घिरा :)
पर वैसे कुछ भी कहें मनु थोड़ा शार्प तो था
तो पहले कभी भी कोम्मेर्से,अकाउंट्स
ना पढ़े होने के बावजूद मनु ने फर्स्ट ईयर में बहुत अच्छे मार्क्स लाये
यहाँ तक की " हिंदी " में उसने कॉलेज टॉप किया
और सेकंड ईयर में मनु का माइग्रेशन
मनु के मनपसंद शिवाजी कॉलेज में हो गया :)
अरे पर ये क्या सुशिल भी अच्छे मार्क्स लाया था
और सुशिल का माइग्रेशन भी शिवाजी कॉलेज में हो गया था :)
अब शिवाजी कॉलेज में
मनु और सुशिल की दोस्ती ढंग से शुरू हुयी
अब मनु ने जाना के
सुशिल आखिर बन्दा क्या है :)
सुशिल इतना हाज़िरजवाब ,
हसने-हसाने वाला
शरारती इतना के एक बार शर्त लगने पर
चलती हुयी क्लास में ,
जहाँ प्रोफेसर पढ़ा रहे थे
उसने धड़ाम से गेट खोला और एक सिक्का प्रोफेसर को खींच के मारा
वो सिक्का दो मिनिट तक फर्श चूमता हुआ आवाज़ करता रहा
और प्रोफेसर हैरान के ये क्या हुआ :)
और सारे स्टूडेंट्स का हँस-हँस के बुरा हाल :)
और दूसरी घटना में
मनु और सुशिल की क्लास की लड़कियों ने
एक खाली पड़ी क्लासरूम को ही अपना गर्ल्स अड्डा बना लिया था
वो रोज़ आती और उस क्लासरूम में अंदर जाकर अंदर से कुंडी लगा लेती
कई दिन ऐसे ही बीत गए
मनु,सुशिल और कई लड़के परेशान
के भाई ऐसे हम इन लड़कियों से कैसे बात करेंगें ,
दोस्ती करेंगें ,
और कैसे पटायेंगें :)
अगर ये रोज़ ऐसे ही एक कमरे के अंदर बंद रहेंगी तो :)
अब इसका भी तोड़ निकाला सुशिल ने ही :)
अगले दिन लड़कियां कॉलेज आईं
उस कमरे के अंदर गयीं
हैरान :)
कमरा बंद कैसे करें :)
क्युँकी किसी ने पूरा दरवाज़ा ही उतार कर गायब कर दिया था :)
ये भी शरारती सुशिल का काम था
लड़कियों ने हँस-हँस कर इस कारनामे की पूछताछ की :)
और इसी बातचीत में अब शिवाजी कॉलेज की सारी खूबसूरत लड़कियां
सुशिल और मनु के ग्रुप में थी
अब अच्छी दोस्त बन गयीं :)
( यहां तक की आज तक अच्छी दोस्त हैं :) )
साहसी भी गज़ब था सुशिल :)
एक बार
कॉलेज के दो गुंडों ने सुशिल को भरे कॉलेज में सीढ़ियों में रोका
एक ख़ास लड़की का नाम लेकर धमकाया
" तू आज के बाद उस लड़की से मिला तो ...... "
पर सुशिल तो आखिर सुशिल था :)
अगले दिन फिर सुशिल "अमेरिकनों रेस्त्रो " में उसी लड़की से मिलने गया :)
उसके साथ कॉफ़ी पी
वो दोनों गुंडे वहां आये
उन्होंने सुशिल को फिर धमकाया
पर सुशिल भाई तो फिर सुशिल भाई है :)
वो फिर भी तस से मस नहीं हुआ :)
गज़ब का हिम्मती, गज़ब का हसोड़ :)
कब कैसे मनु का गहरा दोस्त बनता चला गया था सुशिल
मनु को पता ही नहीं चला
दोनों साथ हँसे
कभी-कभी साथ दुखी भी हुए :)
अब तो बस जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है
और मनु और सुशिल की दोस्ती बढ़ती जा रही है
मनु को आज भी ये कहने में शर्म नहीं की इसका सारा श्रेय
सुशिल को जाता है
क्युकी मनु तो आज भी नहीं बदला
वैसा ही है
दम्भी और एरोगेंट :)
#मन7 #दोस्ती #friends #friendship
manojgupta0707.blogspot.com
👌👌
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