वो जो बो गयीं थीं तुम
मेरे मन के आँगन में
वो गुलाब की कलम
आज वो बन गयी है मेरे
इज़हार-ऐ -ज़ज़्बात की कलम
आज भी खुशबू है इसमें
तेरे पाक हसीन हाथों की
जो भी लिखता हूँ मैं उसे
इबादत* बना देती है
तेरे अहसास की कलम
वो जो बो गयीं थीं तुम
मेरे मन के आँगन में
वो गुलाब की कलम।
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kalam= ^ a small branch of gulaab
^^ wooden pen(made of wood)
*ibaadat= prayer
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^^ wooden pen(made of wood)
*ibaadat= prayer
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