एक अंधेरे कोने में पड़े
हर पल ये गुहार... लगाई मैंने
के साँस रूकती है मेरी
क्यूँ ये सज़ा पायी मैंने
हर पल ये गुहार... लगाई मैंने
के साँस रूकती है मेरी
क्यूँ ये सज़ा पायी मैंने
कुछ तो समझो
के 25 साल की तपस्या है मेरी
निस्वार्थ प्यार किया...
कोई पाप नहीं किया मैंने
के 25 साल की तपस्या है मेरी
निस्वार्थ प्यार किया...
कोई पाप नहीं किया मैंने
तेरा ख़ूबसूरत जिस्म जो सबकी..
आरज़ू होगा शायद
रूह को जाना..जिस्म तो कभी ठीक से ..देखा नहीं मैंने
आरज़ू होगा शायद
रूह को जाना..जिस्म तो कभी ठीक से ..देखा नहीं मैंने
तेरी ख़ुशबू महकाए
मेरे जीवन-रेगिस्तान को
यही एक छुईमुई सी उम्मीद
बस है उगाई मैंने...
मेरे जीवन-रेगिस्तान को
यही एक छुईमुई सी उम्मीद
बस है उगाई मैंने...
एक अंधेरे कोने में पड़े
हर पल ये गुहार... लगाई मैंने
के साँस रूकती है मेरी
क्यूँ ये सज़ा पायी मैंने...
हर पल ये गुहार... लगाई मैंने
के साँस रूकती है मेरी
क्यूँ ये सज़ा पायी मैंने...
-मन
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