Wednesday, December 20, 2023

नदी | HINDI KAVITA




( प्रेमी को अचानक उसकी पूर्व प्रेमिका किस महफ़िल में दिख जाती है , फिर ...)

" नदी मेरे सामने कलकल बह रही थी 

मगर मैं जड़वत खड़ा रहने को मजबूर था 

मेरे कदम धरा में धंस गए थे 

और मेरी आत्मा सुलगती रही थी  


गैरों ने ,अपनों ने ,सबने पिया

और खूब पिया जीवन अमृत 

नदी ने कनखियों से मुझे देखा भी 

मगर मै नज़रें चुराए यूँहीं जड़ खड़ा रहा 


मैं कैसे कहता और किससे कहता 

क्या किया , जो मैंने किया था 

जीवन अमृत को ठुकराकर 

क्या चुना , जो मैंने जो चुना था 


नदी मेरे सामने कलकल बह रही थी 

मगर मैं जड़वत खड़ा रहने को मजबूर था 

मेरे कदम धरा में धंस गए थे 

और मेरी आत्मा सुलगती रही थी  "



 

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