एक रुपया मिला था , ज़िंदगानी में
तीन चौथाई .. बीत गया बेध्यानी में
और पच्चीस पैसे जो बाकी रहा ,
वो भी तो अन्धकार में है
शुगर और बीपी के करार में है
तन हो याके मन हो , याके रूह मेरी ,
सब के सब जख्मी हैं , शॉक में हैं
शर्माता हूँ .. कैसे कहूँ
के कगार पे हैं
मुड़ के देखता हूँ
तो पता चलता है
बस कुछ कागज़ , कुछ ईट कंक्रीट कमाये
बाकी सब तो उलटा है
संगी - साथी पीछे छूट गए
दूर छूट गया कहीं मन मेरा
अब तो मैं भी नहीं , वो भी नहीं और ये भी नहीं
कुछ नहीं बचा अपना .. मेरा
काश कुछ तो रहता , कुछ तो बचता
जो होता मेरा अपना
काश मै वही करता
जो कभी था मेरा सपना
एक रुपया मिला था , ज़िंदगानी में
तीन चौथाई .. बीत गया बेध्यानी में
( लेखक - मनोज गुप्ता )
#hindipoetry #hindiquotes #poetry #hindi #shayari #hindishayari #love #urdupoetry #shayri #lovequotes #shayar #writersofinstagram #quotes #hindipoem #poetrycommunity #hindikavita #hindiwriting #shayarilover #gulzar #instagram #writer #urdu #hindilines #mohabbat #hindipoems #urdushayari #sadshayari #hindiwriter #ishq #india
No comments:
Post a Comment