नहीं जरुरत अब हमें दोस्तों , घरवालों के व्याख्यानों की
अलार्म , कैलकुलेटर , टॉर्च , कैमरे जैसे सामानों की
अब हमने अपने बच्चों को भी एक आनव दे दिया है
पैदा होते ही उनके हाथों में मोबाइल-दानव दे दिया है
बच्चे अब नहीं खेलते गलियों , पार्कों , मैदानों में
नहीं मज़ा उन्हें अब , माँ के हाथ से बने खानों में
अब तो बस मोबाइल संग जीना और बाज़ार से खाना मंगवाना है
स्विगी (दूसरी माँ ) और जोमोटो (मौसी) का अब हर कोई दीवाना है
नहीं बात करनी अब किसी को बैठकर आमने सामने
पास बैठे भी हों तो बात होगी व्हाट्सअप के बहाने
एप्पल लील गया हैं , हमारी कमाई का एक बड़ा हिस्सा
जल्द वो दिन आएगा , हम टेस्ला में बैठकर मांगेंगे भिक्षा
नहीं जरुरत अब हमें दोस्तों , घरवालों के व्याख्यानों की
अलार्म , कैलकुलेटर , टॉर्च , कैमरे जैसे सामानों की
अब हमने अपने बच्चों को भी एक आनव दे दिया है
पैदा होते ही उनके हाथों में मोबाइल-दानव दे दिया है
( लेखक - मनोज गुप्ता )
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