Monday, January 1, 2024

ANIMAL ( POEM )



 

" सोचता था की बहुत महान हूँ मैं 

अपनी इस सोच में ही परेशान हूँ मैं 

जिनसे ज़िन्दगी गुलज़ार है मेरी 

आज उनसे ही पशेमान (सॉरी ) हूँ मैं 


उम्र भर फूल बिछाये जिसने , मेरी राहों में 

रात दिन का सुकून पाया मैंने , जिनके सायों में 

जिनको पलकों पर सजाना था मुझको 

उनको ही हर बार गिराया है मैंने 


तुमने नाहक ही इंसान समझा था मुझको 

इंसान नहीं " एनिमल " हूँ मैं 

आज पशेमान (सॉरी ) हूँ कल फिर बदल जाऊंगा 

इंसान नहीं " एनिमल " हूँ .. शैतान हूँ मैं 


सोचता था की बहुत महान हूँ मैं 

अपनी इस सोच में ही परेशान हूँ मैं 

जिनसे ज़िन्दगी गुलज़ार है मेरी 

आज उनसे ही पशेमान (सॉरी ) हूँ मैं "


लेखक - मनोज गुप्ता 

#man0707 

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