Tuesday, January 16, 2024

हाँ तुम बिलकुल सच कहती हो , के मैं

 " हाँ तुम बिलकुल सच कहती हो , के मैं 

मैं बहुत पुराने ... गुज़रे बीते ज़माने का हूँ 


मुझे आज भी बस ... रफ़ी और किशोर के गाने अच्छे लगतें हैं 

मैं आज भी जब अताउल्ला खान साहब , नुसरत फ़तेह अली खान साहब , मेहदी हसन साहब को सुनता हूँ ,

तो जज्बाती हो जाता हूँ ... होश खो देता हूँ 

और तुम्हे याद करके आज भी ... रोने लगता हूँ 


हाँ तुम बिलकुल सच कहती हो , के मैं 

मैं बहुत पुराने ... गुज़रे बीते ज़माने का हूँ 


आज भी जब बारिश होती है तो मैं ,

मैं आज भी बच्चों की तरह उत्साहित हो जाता हूँ 

और चुपके से , सबसे छुपके ... अकेले में ,

छत्त पर जाकर भीगता हूँ ... और बिंदास खूब नहाता हूँ 

बारिश के मौसम में मैं ,

मैं आज भी रोमांटिक ... बहुत रोमान्टिक हो जाता हूँ 


हाँ तुम बिलकुल सच कहती हो , के मैं 

मैं बहुत पुराने ... गुज़रे बीते ज़माने का हूँ 


पूर्णिमा के हसीन चाँद में मुझे आज भी ... बस तुम ही दिखती हो 

हँसती हुयी , मुस्कुराती हुयी , 

तुम हमेशा की तरह आज भी मुझसे दूर , बहुत दूर 

महकती हुयी , दमकती हुयी और आज भी दीखता है तुम्हारा ..

तुम्हारा वो चिरपरिचित गुरुर 


हाँ तुम बिलकुल सच कहती हो , के मैं 

मैं बहुत पुराने ... गुज़रे बीते ज़माने का हूँ 


तुम्हारे वो खत , वो रूमाल , वो फोटो सब के सब मैंने 

मैंने वो सब आज भी अपने दिल से लगा रखा है

मेरी पुरानी अलमारी में उनकी जगह अक्सर बदलती रहती है 

पर मेरे दिल में .. मेरे दिल में वो सब आज भी वहीँ है 

उसी बागीचे में , जहाँ एक दिन तुम और मैं मिले थे .. साथ हँसें थे 

महके थे ... और फिर बिछड़ गए थे 



हाँ तुम बिलकुल सच कहती हो , के मैं 

मैं बहुत पुराने ... गुज़रे बीते ज़माने का हूँ 


मुझे आज भी बस ... रफ़ी और किशोर के गाने अच्छे लगतें हैं 

मैं आज भी जब अताउल्ला खान साहब , नुसरत फ़तेह अली खान साहब , मेहदी हसन साहब को सुनता हूँ ,

तो जज्बाती हो जाता हूँ ... होश खो देता हूँ 

और तुम्हे याद करके आज भी ... रोने लगता हूँ "

( मनोज गुप्ता )

#man0707   

manojgupta0707.blogspot.com

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