" बीती बातें , अतीत की यादें
अक्सर घेर लेतीं हैं मुझे , शाम आते आते
कुछ पुराने दुःख , कॉफ़ी की भाप में उड़ने को बेताब रहतें हैं
कुछ पुराने दर्द , आरामकुर्सी के पैरों में आबाद रहतें हैं
मेरा वो गुलाब , मेरी पुरानी सी किताब में आज भी रखा है
तेरा वो रूमाल , मेरी अधफंसी दराज में आज भी सजा है
हर सुबह सोचता हूँ , आज फेंक दूँगा ये सब , अलाव के पास
पर शाम होते होते भूल जाता हूँ , बचा लेता हूँ ये झूठी आस ?
बीती बातें , अतीत की यादें
अक्सर घेर लेतीं हैं मुझे , शाम आते आते "
( लेखक - मनोज गुप्ता )
#man0707
manojgupta0707.blogspot.com
( इस कविता के शब्द मित्र 'छवि' के हैं , मैंने बस उन्हें पिरोने का काम किया है :) )
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