Saturday, January 6, 2024

कैसे कहूँ , कितना बदल गया हूँ मैं


 




" कैसे कहूँ , कितना बदल गया हूँ मैं 

समय के साथ , कुछ ज्यादा ही संभल गया हूँ मैं 

कहाँ कभी कुछ भी सोचता नहीं था मैं 

कहाँ आज सोच सोच कर , रुक गया हूँ मैं 


खुशियाँ तो आज भी आवाज़ देती हैं मुझको 

पर अब मैं बस दूर खड़ा जमा-भाग करता रहता हूँ 

दूसरों की नज़रों में उठा रहने की चाहत में 

अपने ही झूठों के नीचे दब सा गया हूँ मैं 


कैसे कहूँ , कितना बदल गया हूँ मैं 

समय के साथ , कुछ  ज्यादा संभल गया हूँ मैं "

( लेखक - मनोज गुप्ता )

#man0707

manojgupta0707.blogspot.com


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