" कैसे कहूँ , कितना बदल गया हूँ मैं
समय के साथ , कुछ ज्यादा ही संभल गया हूँ मैं
कहाँ कभी कुछ भी सोचता नहीं था मैं
कहाँ आज सोच सोच कर , रुक गया हूँ मैं
खुशियाँ तो आज भी आवाज़ देती हैं मुझको
पर अब मैं बस दूर खड़ा जमा-भाग करता रहता हूँ
दूसरों की नज़रों में उठा रहने की चाहत में
अपने ही झूठों के नीचे दब सा गया हूँ मैं
कैसे कहूँ , कितना बदल गया हूँ मैं
समय के साथ , कुछ ज्यादा संभल गया हूँ मैं "
( लेखक - मनोज गुप्ता )
#man0707
manojgupta0707.blogspot.com
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