" Love Peace Happiness "
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" मैनेजर साहब , आप तो बिलकुल ही झूठे इंसान हैं , यार "
" ऊपर इतना बड़ा रूम खाली है और आप कह रहें हैं की लॉन्ज में कोई रूम खाली नहीं है
अरे आपको एक्स्ट्रा रूम के ज्यादा पैसे चाहिए तो मांग लीजिये ,
हमारी मजबूरी हैं , हम दे देंगें "
" पर इतना झूठ तो मत बोलो आप "
" मेरे परिवार के सामने मेरी बेइज़्ज़ती तो मत कराओ "
" कितने लोगों को भेजा है मैंने आपके होटल में पहले भी "
" पर आप तो बिलकुल ही पैसे के यार निकले "
इतना कहते कहते ही वो बुजुर्ग सज्जन सहगल साहब गुस्से में कांपते हुए अब हांफ रहे थे
उनकी ऐसी हालत देखकर मोहन ने तुरंत सहगल साहब को सहारा देकर पास ही सोफे पर बैठाया
और एक वेटर को उनके लिए पानी लाने भेजा
पानी पी कर अब सहगल साहब ने जब चैन की कुछ साँसें ली तो ,
मोहन ने नज़रें झुकाये , जैसे मन ही मन बुदबुदाते हुए उनसे कहा था
" सहगल सर , मैं आपसे माफ़ी चाहता हूँ
आप मुझे एक घंटा दीजिये ,
मैं कैसे भी करके आपके लिए एक रूम का इंतज़ाम करता हूँ "
" तब तक आप अपनी फॅमिली के साथ अपने दो रूम में ही चेक इन कीजिये "
" फ्रेश होइए , बुफे लंच लगने वाला है , उसे एन्जॉय कीजिये "
" आपके तीसरे रूम की चिंता आप मुझ पर छोड़ दीजिये "
" एक घंटे में आपके फॅमिली मेंबर्स को तीसरा रूम मिल जाएगा "
" इस तीसरे रूम का आपको कोई भी चार्ज नहीं देना है , आल फैसिलिटीज विल बी सेम अस पर योर बुकिंग्स "
मोहन की ये बात सुनकर अब सहगल साहब ने चैन की सांस ली और वो सुकून में सोफे पर जैसे ढह गये
होटल लॉबी में खड़े बाकी टूरिस्ट्स , होटल स्टाफ भी ,
जो अब तक इस तेज आवाज़ में हो रही बातचीत से वहीँ बुत से बने खड़े रह गए थे ,
अपने अपने कामों में फिरसे बिजी हो गए
मोहन , बड़े शहरों के शोरोगुल से दूर ,
इस छोटे से हिल स्टेशन बिनसर में " लव पीस हैप्पीनेस " नाम का एक टूरिस्ट होटल चलाता हैं
और ऐसा बरसों में कभीकभार ही ऐसा होता है की कोई टूरिस्ट उनसे इतनी बदतमीज़ी से बात करे
टूरिस्ट तो अक्सर मोहन की खातिरदारी और इंसानियत से इतने प्रभावित होते हैं की बार - बार बिनसर आकर " लव पीस हैप्पीनेस " में ही रुकते हैं
और अपने मित्रों को बिनसर में आकर सिर्फ लव पीस हैप्पीनेस में ही रुकने को कहते हैं
किसी टूरिस्ट का कोई कीमती सामन वापिसी में होटल में छूट गया हो
किसी टूरिस्ट के पास बिल में कोई पैसे कम पड़ जाएँ ,
किसी टूरिस्ट ने होटल का कोई नुक्सान कर दिया हो
चाहे कोई भी बात हो , किसी भी परिस्तिथि में मोहन ने कभी पैसे को तो अहमियत दी ही नहीं
हर बिगड़े काम को ठीक से निबटाना उनकी खासियत है
इसीलिए बिनसर में जब नॉन- सीजन में बड़े बड़े होटल खाली होते है " लव पीस हैप्पीनेस " तब भी अक्सर भरा रहता है
और आज ... आज एक टूरिस्ट ने मोहन को झूठा , बेईमान कहा
वो भी सबके सामने , टूरिस्टों से भरी लॉबी में
मोहन को तो जैसे काटो तो खून नहीं
हालांकि गलती आज भी दिल्ली से आये हुए टूरिस्ट सहगल साहब की ही थी
उनके " लव पीस हैप्पीनेस " में आज से अगले चार दिनों के लिए दो रूम बुक थे ,
पर लास्ट मोमेंट पर उन्होंने आज सुबह दिल्ली से बिनसर के लिए रवाना होते हुए मोहन को फोन किया
और एक एक्स्ट्रा रूम माँगा ,
शायद उनके कुछ फॅमिली मेंबर जो पहले नहीं आरहे थे वो भी अब बिनसर आना चाहते थे
मोहन ने तो सुबह ही सहगल साहब को फोन पर साफ़ मना कर दिया था की पीक सीजन है ,
सारे रूम पहले से बुक हैं
और एक एक्स्ट्रा रूम बिलकुल नहीं हो पायेगा
पर सहगल साहब ने शायद मोहन की बात को हलके में लिया था ,
उन्होंने सोचा होगा की हमेशा की तरह मोहन कुछ ना कुछ इंतज़ाम तो कर ही देगा
"हमेशा सबके बिगड़े काम बगैर शिकायत , ठीक कर देने का एक नुक्सान ये भी होता है
की लोग ना को भी हाँ ही सुनते हैं "
और बिलकुल यही आज हुआ मोहन की ना के बावजूद भी सहगल साहब ने खुद ही अपने मन में मान लिया की
मोहन है तो मुमकिन है
वो कुछ न कुछ जुगाड़ कर ही देगा
और बिनसर पहुंचकर जब उन्हें पता चला की होटल फुल है , कोई रूम खाली नहीं है
और अब उनको अपने परिवार के लोगों के सामने शर्मिन्दा होना पड़ेगा , तो फिर ये हंगामा हो गया
" सर ... मोहन सर .. इस बार मेरी गलती नहीं है "
" वो .. रूम नम्बर - 7 की सफाई चल रही थी और जाने कैसे वो सहगल साहब वहीँ धमक गए "
" और फिर ... और फिर ... "
वेटर रामदीन की ये बात सुनकर मोहन ने घूरकर रामदीन को देखा और बोला
" आधे घंटे में रूम नंबर - 8 क्लीन करवाओ और सहगल साहब की फॅमिली को चेक इन करा दो "
" सर रूम नंबर -8 तो आपका पर्सनल रूम है ... वो क्यों ? "
" और फिर आप ... आप कहाँ .... ??????? "
रामदीन घिघियाते हुआ बोला
मोहन की बात सुनकर रामदीन जैसा घाघ वेटर भी चकरा गया था
" जैसा कह रहा हूँ , वैसा ही करो , ज्यादा सोचो मत "
मोहन को अच्छे से मालूम था की आज ये जो सब हुआ ,ये सब रामदीन का ही किया हुआ है
रामदीन को बार - बार इतना समझाने के बाद भी हर साल दो साल में ऐसा होता ही था
पीक सीजन में जब भी कोई बड़ा ग्रुप लॉन्ज में अपने बुक रूम्स से ज्यादा रूम की डिमांड करता था
तब तब रामदीन बड़े टिप के लालच में खुद ही ' उस रूम ' के खाली होने की खबर क्लाइंट को दे देता था
अब मोहन किसी को क्या बताता की
क्यों होटल का वो ऊपर वाला रूम नंबर - 7 , हमेशा खाली रहता है ?
और होटल के फुल होने पर भी क्यों वो रूम कभी किसी को रहने के लिए नहीं दिया जाता ?
( लेखक - मनोज गुप्ता )
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