" पेड़ ना बन सका
तो मैं घास बना
कुचला गया तो
बारिश तक इंतज़ार किया
और मैं फिर से तना
जिस-जिस ने मुझे कुचला ,
उनका शुक्रिया
अग्नि मेरे ह्रदय बसी थी ,
सूर्य ने मुझे जीवन-ताप दिया ,
तो चंद्रमाँ ने शीतलता ,
धरा ने अंक (गोद) में लिया ,
पवन ने सहलाया ,
तो बादल ने नहलाया ,
और मैं फिर से तना
पेड़ ना बन सका
तो मैं घास बना
कुचला गया तो
बारिश तक इंतज़ार किया
और मैं फिर से तना "
( मनोज गुप्ता )
#man0707
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