Thursday, January 18, 2024

तेरी आँखों में एक तूफ़ानी नदी


 " तेरी आँखों में एक तूफ़ानी नदी दिखती है,

जैसे कही दौड़ के जाने की उफन सी है

तू कहाँ देखता है , किसी दूसरे के चेहरे को

लगता है कहीं अपने ही चेहरे से नफ़रत सी है

माथे की वो शिकनें तो , वाबस्ता लकीरें बन ही चुकी

हर पल की तेरी सोच , इन्हें और पकाती सी है

एकटक तेरा देखते रहना बस अपने ही मोबाइल में

जाने किस बुरी ख़बर के आने की हड़बड़ी सी है


तेरी आँखों में एक तूफ़ानी नदी दिखती है,

जैसे कही दौड़ के जाने की उफन सी है


ढूँढते रहना हमेशा ही , किसी अनजाने-अनजानी को

वो जो तुझे ताक रहा हँस हँस कर , फिर उसका क्या है ?

उठ..चल..हाथ बढ़ा..एक मुस्कुराहट तो पहन

तेरे सब बन जाएँगे , तू ज़रा तो उम्मीद में हो मगन

ज़्यादा ना सोच..बस इस पल में जी..जो पल बस अभी बीत रहा

इस पल ही में जीवन है , इसके सिवा तो कुछ भी नहीं

तू जैसा है ...जहाँ है ..वही से आगे तू निकल

तू ना जीत सके , इतना अजेय तो कुछ भी नहीं

तू ना जीत सके , इतना अजेय तो कुछ भी नहीं


तेरी आँखों में एक तूफ़ानी नदी दिखती है

जैसे कही दौड़ के जाने की उफन सी है "

( मनोज गुप्ता )

#man0707     

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