फ़क़त एक ही ख्वाइश है तेरे दीवाने की
के तू हो रूबरू....
और हों कुछ तनहा सुकून के पल
वर्ना तो क्या ये सारे जहाँ की दौलत?
और क्या ये खुदा का मिल जाना?
--मन--
के तू हो रूबरू....
और हों कुछ तनहा सुकून के पल
वर्ना तो क्या ये सारे जहाँ की दौलत?
और क्या ये खुदा का मिल जाना?
--मन--
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