Thursday, November 13, 2014

तेरी चाहत में......

तेरी चाहत में इस कदर रूहानी हों रहा हू
दीन से ...दुनिया से बेमानी हों रहा हू
*मै* तो बदस्तूर खत्म हों रहा मेरा
खुदा बनने को ..... हों रहा हू.
--मन--

No comments:

Post a Comment