Wednesday, May 7, 2014

कहाँ तू और कहाँ मैं




कहाँ तू और कहाँ मैं 

जहां तू थी
एक खूबसूरत,मस्त बिंदास बाला
वहीँ मैं था
बहुत बड़ा भोंदू साला 
जीवंत ड्राइव में फुल स्पीड पे थी तू
और वहीं एक सन्नाटे में जी रहा था मैं
हम मिले तो तूने पहचाना था मुझे 

मेरे हीअंतर से मिलवाया था तूने मुझे 
फिर और भी लोग लगे थे कहने 
वाह मनु तू तो है वाह वाह
तूने वो क्लास दीनी थी मुझको 

जो खोज रहा था मैं बरसो से
22 साल का साथ हमारा 

लग रहा बस कल परसों से 
आज तू 40 साल की हुयी
पर मेरे लिए बस 20 की है तू अब भी
क्युकी मैं भी खुद भी 

21 से ज्यादा होना ना चाहूँ
बस खोजुं वो मस्ती पहली सी
wimpy,priya और सूरजकुंड
जहाँ नीलगगन में पंछी उड़ते 

और बना के अपना एक झुण्ड
आज की बात करें क्या हम तुम
क्या हैं हम,हम खुद भी ना जानें
क्या बन पाएंगे फिरसे
हम पहले से जाने-पहचाने 

आज फिर
एक तू थी और एक मैं था
जहां तू थी मस्त बिंदास बाला

वहीँ मैं था बहुत बड़ा भोंदू साला।

(ये कविता मैंने अपनी दोस्त कविता के लिए उसके ४० वे जन्मदिन पे लिखी थी )


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