Wednesday, May 7, 2014

तू भी कहीं महकती होगी, चाहे दूर ही सही | HINDI KAVITA




जब रात की रानी की मादक खुशबू
तन-मन को मेरे महकाती है
तो याद आता है
तू भी कहीं महकती होगी
चाहे दूर ही सही

जब सूरज की पहली किरणें
मुझे , तेरे ख़्वाबों से जगातीं है
तो याद आता है
तू भी बस अभी अलसाई सी जागी होगी
चाहे दूर ही सही

जब कोयल की कुहू-कुहू
तेरी वो, कभी ना ख़त्म होने वाली बातें याद दिलाती है
तो याद आता है
तू अब भी कहीं चहकती होगी
चाहे दूर ही सही

जब बारिश की वो सर्द बौछारें
मुझे अंतर तक भिगा जाती है
तो याद आता है
तू भी बस इसी पल भीगी- बहकी सी होगी
चाहे दूर ही सही

जब प्रणय व्याकुल मोरनी
जंगल में प्रेम-मग्न नाचती है
तो याद आता है
तू भी कहीं मोरनी सी व्याकुल होगी
चाहे दूर ही सही

जब किसी का मादक सौंदर्य
तन-मन को मेरे बहकाता है
तो याद आता है
तू भी तो उसी मीठे दर्द में कसमसा रही होगी
चाहे दूर सही

जब रात की रानी की मादक खुशबू
तन-मन को मेरे महकाती है
तो याद आता है
तू भी कहीं महकती होगी
चाहे दूर ही सही.,    मुझसे  बहुत दूर ही सही.
(manoj gupta )
#man0707




1 comment:

  1. i wrote this poem 20 yrs back. i lost my dairy. but it was in my heart. now i wrote it again.

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