Saturday, February 3, 2024

JUNGLE CAT | HINDI KAHANI | PART - 5


ये लव लेटर किसी गुमनाम लड़की ने मोहन नाम के लड़के को लिखा था 

लेटर के आखिर में लिखा था 

" तुम्हारी , सिर्फ तुम्हारी

           JUNGLE CAT


उस सारी रात नेहा बस करवटें बदलती रही , वो सोचती रही 

उस डायरी में लिखे एक एक शब्द के बारे में ,

वो लव लेटर्स , वो फोटो .. किसके थे ... किसने लिखे ... और कब 

उन सारी चीज़ों का रहस्य नेहा को अपने रहस्य में घेरे जा रहा था 

वो कहानी का एक सिरा पकड़ती तो दूसरा उससे छूट जाता था 

वो अपने मन में उन सब चीज़ों को मिलाकर एक कहानी बुनती ... गढ़ती ,

तो दूसरे ही पल उसे कोई और बात याद आ जाती , जो उसकी बुनी हुयी कहानी में बिलकुल भी फिट नहीं बैठती थी 

ऐसे ही उदेड़बुन में वो कब सपनों के संसार में पहुँच गयी , उसे बिलकुल पता नहीं चला 

अपने सपनों में वो स्वयं को एक घने भयानक अँधेरे जंगल में अकेले पा रही थी 

जहाँ वो बदहवास सी एक कच्चे , पथरीले रास्ते पर बदहवास भागी चली जा रही थी 

वो रुकना चाहती थी पर रुक नहीं पा रही थी , ये जैसे उसके वश से बाहर था 

वो पगडडंडी इतनी छोटी सी थी और एक तेज़ ढलान थी , सो वो बस नीचे को लगातार गिरे जा रही थी 

आस पास उगे वो जंगली पेड़ और उनकी शाखाएँ उसके भागते हुए शरीर को लगातार लहुलहान कर रहे थे 

उसके कपड़े पूरे फट चुके थे और उसके शरीर का साथ छोड़ चुके थे 

नंगे पैरों से भी लगातार खून बह रहा था 

उसके चारों ओर बस अँधेरा था और दूर - पास से हर तरफ से जंगली जानवरों की डरावनी आवाज़ें आ रही थी

उसे दूर-दूर तक कोई रौशनी नहीं दिखाई दे रही थी 

की अचानक ....... 

अचानक उसका पैर कहीं अटका और उसने खुद को उसी ढलान पर लुड़कते हुए , गिरते हुए महसूस किया 

छपाक ...... 

और कुछ ही क्षणों में उसने खुद को गहरे पानी में डूबते हुए पाया 

उसने खुद को बचाने के लिए खूब हाथ पैर मारे पर ... पर वो लगातार गहरे और गहरे धँसती जा रही थी 

कोई शक्ति थी , जो उस नीचे और नीचे खींचे जा रही थी 

उसकी सांस लगातार टूट रही थी , वो जीने को छटपटा रही थी 

धड़ाम .......... एक तेज़ आवाज़ 

और फिर नेहा हड़बड़ा कर उठ बैठी , तो उसने खुद को बिस्तर से नीचे फर्श पर पाया 

इतनी सर्दी में भी वो पसीने में तरबतर थी 

वो आँखें फाड़े फाड़े यहाँ वहाँ हर तरफ देख रही थी 

अपने पूरे शरीर पर हाथ फिराकर खुद को महसूस कर रही थी , सब ठीक था 

उसने बारी बारी से अपने दोनों पैरों के तलुओं को पलट कर देखा , सब ठीक था 

सब ठीक था , सब अपनी जगह ठीक ... सही 

निसंदेह सपना था ... एक बुरा सपना 


गर्म पानी का एक लंबा शावर लेने के बाद नेहा अब कुछ बेहतर फील कर रही थी 

वो नीचे ब्रेकफ़ास्ट के लिए होटल लॉउन्ज में आयी 

और फिर जब शान्ति से बैठकर ठन्डे दिमाग से उसने सोचा तो उसे एक ही व्यक्ति समझ आया ,

जो उसकी जिज्ञासा को शांत कर सकता था , और वो थी 

सुरभि ... जी सुरभि नौटियाल , होटल रिसेप्शनिस्ट 


" सुरभि जी , ये रूम नंबर 8 में मुझसे पहले कौन कस्टमर रुके थे ? "

नेहा ने ये पूछ तो डाला पर उसको खुद समझ नहीं आ रहा था की वो ये क्या कर रही है 

सुरभि उसे क्यों बताएगी की उससे पहले उस रूम में कौन रुका था 

पर जब सुरभि ने बिना झिझक उसे बताया की ये रूम नंबर 8 तो होटल मैनेजर मोहन जी का पर्सनल रूम है 

और पहले कभी भी किसी और टूरिस्ट को नहीं दिया गया है और फिर और भी बाकी की सारी कहानी 

की किन परिस्तिथियों में वो रूम नेहा और उनकी कसिन को रहने को मिला 

सहगल साहब और मोहन जी का वो आर्गुमेंट ... और फिर वो मोहन जी का अपना रूम उनको दे देना 

इधर सुरभि लगातार सारी कहानी बताती जा रही थी ,

और उस कहानी को सुनते - सुनते नेहा अपने ही ख्यालों में खोई जा रही थी 

अब उसे मह्सूस हो रहा था की वो डायरी में जो लव लेटर उसे मिला था , उसका मोहन 

और इस होटल JUNGLE CAT का मैनेजर मोहन एक ही आदमी थे 

अचानक नेहा की निगाह दूर पार्किंग में खड़े मोहन पर पड़ी 

वो किसी टूरिस्ट से कुछ बात कर रहे थे 

मोहन का साधारण सा व्यक्तित्व था 

ना ज्यादा लम्बा कद , बल्कि देखने में वो थोड़ा सा मोटा ही था 

सांवला रंग ... खिचड़ी बाल 

ऐसा कुछ भी ख़ास नहीं था मोहन में , जो उस लव लेटर वाले मोहन से मेल खाता हो 

नेहा वहीँ रिसेप्शन काउंटर पर खड़ी दूर से मोहन को देखते हुए सोच रही थी की 

" क्यों कोई लड़की इस इंसान से ... इस बदसूरत इंसान से इतना प्यार कर सकती है ? "

" ऐसा है क्या इस आदमी में ???? "


आज का पूरा दिन नेहा इसी उदेड़बुन में रही थी 

काफी सोचने के बाद इतना तो उसे अब यकीन करना ही की पड़ा की वो लव लेटर वाला मोहन 

और ये होटल मैनेजर मोहन एक ही व्यक्ति हैं 

वो रूम नंबर 8 होटल मैनेजर मोहन का अपना रूम था 

उसको दिए जाने से पहले वो रूम साफ़ तो किया गया , पर वो डायरी गलती से वहीँ रह गयी थी 

और जो अब नेहा को मिल गयी 

सही तो यही होता के नेहा वो डायरी वहाँ से नहीं लेती 

पर नेहा ठहरी खुद एक राइटर , हमेशा नयी कहानियों की खोज में रहने वाली 

तो जिज्ञासावश उसने वो डायरी ले ली 

और अब चूँकि मोहन उस रूम में फिरसे शिफ्ट कर गया होगा 

तो अब नेहा ना तो वापिस उस रूम में फिरसे जा सकती थी 

तो वो वो डायरी भी वहाँ वापिस नहीं रख सकती थी 

उसपर अब नेहा का एक डर ये भी था की आज नहीं कल , मोहन को पता चल ही जाएगा 

की उसकी वो डायरी और बाकी पेपर गायब हैं 

और क्योंकि पिछले चार दिनों से वो रूम नेहा के पास था 

तो वो जल्द ही ये भी जान जायेगा की अब वो डायरी किसके पास होगी 







 

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