मोहन ने धड़कते मन से अपनी अलमारी की दराज़ खोली और अपनी डायरी निकालने के लिए हाथ बढ़ाया
पर ... वहाँ कोई डायरी नहीं थी
उसने बेचैन होकर पूरी ड्रावर ही खींचकर बाहर निकाल ली
पर वहाँ कुछ होता तो मिलता
मोहन ने घबराकर अपना सर पकड़ लिया और धम्म से बेड पर बैठ गया
किर्रर्रर्रर्र .... किररररररररर
दरवाजे पर लगातार बेल बज रही थी
काफी देर के बाद भी जब बेल बजना बंद नहीं हुआ तो नेहा को मजबूरी में उठना ही पड़ा
" गुड मॉर्निंग मैम " , सामने एक वेटर खड़ा था
" सॉरी .... वो आपका फोन भी नहीं मिल रहा था तो देखने आना पड़ा की आप ठीक है ना "
" मैम ... वो मैनेजर साहब आपको बुला रहे थे "
" आप ब्रेकफास्ट के लिए लॉउन्ज में आ जाइये मैम "
" 12 बज रहें हैं मैम , फिर बुफे बंद हो जाएगा "
नेहा अभी भी नींद में ही थी ,
उसने वेटर की बात को सुना - अनसुना कर दिया और बिना कुछ जवाब दिये दरवाज़ा बंद कर लिया
एक घंटे बाद गर्म पानी का एक लंबा शावर लेकर नेहा ब्रेकफास्ट लॉउन्ज में आ बैठी
पूरा लॉउन्ज अब तक खाली हो चुका था , सब लोग ब्रेकफास्ट करके जा चुके थे
उसको देखते ही एक वेटर उसकी तरफ लपका और उससे पूछकर उसका मनपसंद नाश्ता ला दिया
अभी नेहा ने नाश्ता ख़त्म ही किया था ,
की वही वेटर जो सुबह उसके कमरे पर आया था , वो फिर से नेहा को बुलाने आ गया
" की आपको सर बुला रहें हैं "
नेहा को अब जाकर ये एहसास हुआ की कुछ तो ख़ास बात जरूर है ,
जो मोहन उसे बार - बार बुला रहा है
" आइये मैम , I HOPE YOU ENJOYED YOUR BREAKFAST "
मोहन ने अपनी व्यग्रता को छुपाते हुए खड़े होकर शिष्टाचारवश कहा
नेहा चुपचाप मोहन के सामने वाली चेयर पर जाकर बैठ गयी और मोहन के कुछ कहने का इंतज़ार करने लगी
" मैम , वो रूम नंबर 8 , जिसमे आप पहले थीं , उस रूम में अलमारी में मेरे कुछ पर्सनल कागज़ थे "
" पर अब वो वहाँ नहीं हैं "
" मैम , वो मेरे पर्सनल पेपर्स हैं , PLEASE GIVE THEM BACK TO ME "
नेहा ने नहीं सोचा था की मोहन इतना सीधे ही उससे पूछ लेगा
नेहा कुछ क्षण चुपचाप बैठी रही और फिर उसे मानना ही पड़ा की
मोहन जी के वो पेपर्स उसके पास ही है
" मोहन सर , बस आपसे एक रिक्वेस्ट थी "
नेहा की ये बात सुनकर मोहन सतर्क हो गया की जाने ये लड़की अब क्या कहना चाहती है
" मोहन सर , सबसे पहले तो मैं अपने कल रात के व्यवहार के लिए आपसे माफी चाहती हूँ "
इतना कहकर नेहा ने अपने दोनों हाथ जोड़ दिये और फिर आगे बोलने लगी
" जैसा मैंने आपको कल ही बताया था की मैं एक राइटर हूँ
काफी किताबें लिखी हैं
पर इस वक्त बहुत परेशान हूँ
एक वेब - सीरीज को लिखने का काम मिला है
पर इस वक़्त मैं WRITERS BLOCK में फंस गयी हूँ , कुछ लिख नहीं पा रही हूँ
मैं इसीलिए बिनसर आयी हूँ ताकि मोटिवेशन आये और मैं कुछ अच्छा लिख सकूँ "
" पर सब बेकार "
" माफी चाहती हूँ पर मैंने आपकी डायरी पढ़ी है
आप सचमुच एक बहुत अच्छे राइटर हो
मैं अपनी वेब सीरीज के लिए आपकी कहानी अडॉप्ट करना चाहती हूँ "
" मुझे इस काम के दस लाख रूपये मिलने थे
पांच आपको मिल सकते हैं
शर्त ये है की मैं आपकी कहानी JUNGLE CAT का एक रफ ड्राफ्ट चैनल को भेजूंगी
उनका अप्रूवल आया , तो हमारी डील ऑन होगी
नहीं आया तो कोई बात ही नहीं है
बस एक चैलेंज है "
नेहा बेधड़क लगातार बोले जा रही थी
पर अब कुछ रुक गयी थी और मोहन जी के चेहरे पर आये भावों को पढ़ रही थी
" अब जब इतनी बातें की हैं तो ये चैलेंज क्या है वो भी बता दीजिये "
मोहन ने सरकास्टिक लहजे में पूछा
" वो ... वो मोहन जी , आपको पैसे तो मिलेंगे बस क्रिएटिव क्रेडिट नहीं मिल पायेगा "
" वो कहानी मेरी होगी और मेरा ही नाम राइटर में आ पायेगा "
' हम एक लीगल डॉक्यूमेंट बना लेंगे "
नेहा ने धीरे से कहा और आँखे झुका कर बैठ गयी
मोहन जी के केबिन में चुप्पी छा गयी थी
कुछ देर के इंतज़ार के बाद खुद को संभाल कर मोहन जी बोले
" देखिये नेहा जी एक तो आपने मेरी पर्सनल डायरी चुराई और फिर पढ़ी भी "
" और उसके बाद चोरी और सीनाजोरी ये है की आप मुझे ऐसी घटिया ऑफर दे रहीं हैं "
" आप कृपया करके मेरा सारा सामान मुझे अभी इसी वक़्त वापिस कीजिये "
" आप हमारे होटल की गेस्ट हैं , कोई और होता
और उसने ऐसी घटिया हरकत की होती तो जाने मैं उसके साथ क्या करता "
मोहन जी गुस्से में काँप रहे थे
उनकी ऐसी हालत देखकर अब नेहा डर गयी थी
वो मिमियाते हुए बोली
" मोहन सर , मैं अभी आपके सारे पेपर्स और वो डायरी ला रही हूँ "
" आप प्लीज मुझे बस पाँच मिनिट दीजिये "
इतना कहकर नेहा अपने कमरे की तरफ भागी
और कुछ ही पलों बाद उसने वो डायरी और सारे पेपर्स लाकर मोहन जी के सामने रख दिये
मोहन ने हड़बड़ाकर सारे पेपर्स और उस डायरी को चेक किया
जैसे ठीक से जाँचना चाहते हों की कहीं कुछ नेहा ने छुपा तो नहीं लिया
और फिर सारे कागज़ अपने ऑफिस केबिन की अलमारी में रखकर लॉक कर दिया
और फिर बड़े रूखे स्वर में नेहा को वहाँ से चले जाने के कहा
नेहा बेमन से उठकर केबिन के गेट तक गयी पर फिर लौट आयी और बोली
" सर मैं अपनी इस हरकत के लिए आपसे फिर से माफ़ी मांगती हूँ "
" पर मैं बहुत मजबूर हूँ सर , मैं खुद जीवन के एक कठिन दौर में हूँ "
" मैं आपसे फिर से रिक्वेस्ट करुँगी की आप मेरी बात के बारे में सोचियेगा जरूर "
" ये मेरी ज़िन्दगी का सवाल है "
नेहा की बात सुनकर अब मोहन जी अपना आपा खो बैठे
और चिल्लाकर बोले
" यू प्लीज गेट आउट फ्रॉम माय केबिन "
और नेहा रोते हुए उनके केबिन से बाहर निकल गयी
" सहगल सर आप तुरंत बिनसर आ जाइये "
अगली ही सुबह मोहन ने सहगल साहब को फ़ोन मिलाकर तुरंत से बिनसर आने को कहा था
असल में कल रात ......
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