Tuesday, April 7, 2020

बेटी

वो बस अभी आयी है
माँ की गोद में है
छोटी , काली, मरियल सी

बाप डरता सा... गोद में उठाता है
सोचता है
तो का हुआ
सब ऐसी ही तो होत हैं
प्यार से निहारता है
यकायक सिहरता है

"कैसे बचाऊगो याए
घर में बच भी गयी तो बाहर
गन्दी छुअन.. जे जवाब दियो तो एसिड
और और पढ़ाऊगो कैसे
फीस है कॉपी है किताब है ड्रेस है
सकूल का रिश्का
और जाने का-का
और और जो पढ भी गयी तो सादी कैसे हुई
दान-दहेज़ है,कपड़ा लत्ता है,दावत - मोटर साइकिल
और जो मैं ना दे पायो तो
मार-पिटाई... तलाक"

वो पसीने-पसीने हो
उसे वहीं बिस्तर पे पटक देता है 
भागता सा बाहर निकल जाता है
ताड़ी पीने...

माँ लपक के उठाती है
छाती से लगाती है
चूमती है
आँखों में आंसू है
"तू क्यों आयी रे बिटिया ? "



बेटी के चेहरे पे हँसी सी है
जैसे कह रही हो
"माँ, आयी हूँ , लड़ूँगी, जीतूँगी" ।



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