Monday, April 27, 2020

भामर सिंह का ट्यूबवेल

पहले तो शहरी दोस्तों की जानकारी के लिए ,
ये ट्यूबवेल क्या होता है,
ये बता दूँ :)
ट्यूबवेल गांव के बच्चो का अपना स्विंमिंगपूल होता है :)
मोटर लगाकर धरती से पानी निकालते है,
उस पानी को एक रेक्टैंगल टैंक में जमा करते हैं
फिर उस टैंक में एक नाली से होकर पानी को खेतों में सिंचाई के लिए छोड़ा जाता है
यही रेक्टैंगल टैंक गांव में बच्चे स्विमिंग पूल के तरह यूज़ करते हैं



हम सारे फूफेरे भाई-बहन हर गर्मियों की छुट्टियों में अपने गांव जहांगीरपुर (ग्रेटर नोएडा) जाते थे 
त्रिनगर से पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन बस से और आगे खुर्जा तक दूधिया ट्रैन से
जी हां दूधिया ट्रैन :)
क्युकी उस ट्रैन से हमारे गांव और आसपास के गावो के
दूध बेचने वाले भैया लोग मुँह अँधेरे दिल्ली में अपना दूध बेचकर वापस गांव जा रहे होते थे 
उस ट्रैन में केवल दूधिया भैय्या लोग ही सीट पर बैठते थे,
ताश खेलते रहते थे
और बाकी दूसरे लोग खड़े रहते थे :)
दूध वाले भैय्या लोगों का राज चलता था उस ट्रैन में :)
फिर खुर्जा से आगे गांव तक तांगा या ठसाठस भरी मिनी बस,
जिसमे सारे ही लोग बीड़ी पीते थे
और पूरी बस धुएं के एक गैस चैम्बर जैसी होती थी

गांव के हमारे घर की दीवार और गांव की मस्जिद की दीवार आज भी एक ही है
जब हम बच्चे घर में खेलते तो उसमे पड़ोस के मुस्लिम बच्चे भी होते
मुझे आज भी याद है की सामने वाले घर की मुस्लिम लड़किया अक्सर हमारे घर आती थीं
वो बहुत ही करीने से सर पे हमेशा दुप्पट्टा ओढे रहती
और हमेशा बहुत ही धीमी आवाज़ में बोलती थी 
हमें तो कभी कोई हिन्दू-मुस्लिम जैसा फ़र्क़ कभी लगा ही नहीं ,
कभी किसी ने जताया भी नहीं
वैसे मुझे तो आज भी कोई फ़र्क़ नहीं लगता :)

चलिए लौट के भामर सिंह जी पे आते है
असल में उनका असल नाम भंवर सिंह था पर
मेरा छोटा भाई मुकेश हमेशा "भामर सिंह" बोलता था
तो मुकेश को चिढ़ाने के लिए
हम सब बच्चे भी जानबूझ कर भामर सिंह ही बोलते थे 
भंवर सिंह जी एक बड़े किसान थे और उनका हमारे परिवार से बहुत प्यार था  
गांव में हमारा सबसे पसंदीदा मनोरंजन था भंवर सिंह जी के ट्यूबवेल पर नहाना 
ट्यूबवेल तो हमारे खेतों पर भी थे पर
भंवर सिंह जी के ट्यूबवेल का टैंक बहुत बड़ा था
तो  बच्चों को वहां नहाने में ज्यादा मज़ा आता था 
तो हम उन्ही के ट्यूबवेल पर नहाने जाते थे
उनका खेत हमारे घर से कोई ३-४ किलोमीटर दूर होगा ,
(पर तब दूर कहाँ लगता था :) ) 
रोज़ सुबह हम सारे बच्चे पैदल निकल पड़ते और खेतों के बीच के कच्चे रास्तो से वहां पहुंचते
रास्ते में एक चारदीवारी हुआ बहुत सुन्दर मैदान, जिसमे काफी पेड़ लगे थे ,मिलता था
कोई बच्चा कहता था की ये मस्जिद है  
मैं सोचता था ये कैसी मस्जिद है जिसमे छत नहीं है 
( बहुत बाद में पता की वो मुस्लिम लोगों की नमाज़ पढ़ने की जगह थी  )
भंवर सिंह जी के ट्यूबवेल पे घंटो हम नहाते रहते 
पानी से खेलते रहते 
और फिर वहीं उनके खेत से ही खरबूजे तोड़कर खूब खाते
काटने को कोई चाकू कहाँ होता था
तो बस कोई भी खेती का औज़ार जो बस खरबूजा काट दे उसी से काटते थे :)
अरे उस वक़्त काहे की  HYGIENE :)
किस चिड़ियाँ को HYGIENE कहते हैं
कभी सोचते भी नहीं थे :)

भंवर सिंह जी का परिवार वहीँ खेत में बने उनके घर में ही रहता था 
उनके परिवार ने भी हमेशा हम बच्चो को प्यार ही दिया
हमने कितना खाया कितना बर्बाद किया उन्होंने कभी जताया ही नहीं
मुझे याद है एक बार उन्होंने मुझे "लाल दूध" पीने दिया

(यार ये "लाल दूध" किसान लोग अपने बच्चो के लिए बनाते हैं ,
इसमें दूध को लगातार कई घंटे धीमी आंच पे उबाला जाता है,
फिर जब दूध लाल हो जाये और मात्रा में तिहाई-चौथाई रह जाए
तो फिर उसमे ढेर गुड़ डालकर बच्चो को पिलाया जाता है)

मैंने एक गिलास पीया
अच्छा लगा
उन्होंने पूछा - "बेटा और लोगे ? "
मैंने एक और गिलास पी लिया 
अब पी तो लिया
पर मुझे ही पता है के कैसे मैं घर तक वापिस आया
और अगले दो दिन मैं कितनी बार खेत-पानी को गया :)
वो दूध, दूध नहीं पूरा निरा मीठा खोया होता है
उसे पचाने के लिए लोहे का शरीर चाहिए होता है :)
बस ऐसी ही अनगिनत यादें हैं गांव की ..
भामर सिंह जी के ट्यूबवेल की

आज गांव में हमारा अपना एक फार्महाउस है
जो मेरी अम्मा "मेवा देवी" और मेरे बाबा "परमेश्वरि दयाल गुप्ता जी " के नाम पर है


आज गांव में हमारा अपना एक फार्महाउस है
जहाँ 8 गाय हैं
जहां आज हम पिछले चार साल से 100 % आर्गेनिक सब्जियाँ उगा रहें हैं
जहाँ आज भामर सिंह जी के ट्यूबवेल से भी बहुत बड़ा ट्यूबवेल ,
मनोज और विकास भाई ने बनवा दिया है 
ट्यूबवेल तो बन गया है 
पर वो हम सब भाई-बहन अब कहाँ इकठ्ठे हो पाते हैं
सभी मित्रों को भी बोलता हूँ की मेरे साथ चलो
पर कहाँ किसी को फुर्सत है :)
हम सब बस लगे हैं जीवन की इस RAT RACE में 
इसलिए अब कहाँ वो बचपन की मस्ती और आलौकिक मज़ा..

अब तो बस यादें हैं गाँव की
भामर सिंह जी के ट्यूबवेल पे बिताये बेहतरीन पलों की :)

#बचपन #bachpan , manojgupta0707.blogspot.com
Writer- Manoj Gupta 

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