Monday, April 20, 2020

पापा


पापा बरगद से सख्त दिखते थे
पर थे बड़े प्यारे, थे सबके यार
अंतर में छुपाये रखते थे वो
अपनी सारी परेशानियाँ और अपना प्यार

वो अक्सर मुझे यूही डाँट देते थे
साथ कौन है खड़ा,कभी ध्यान ही नहीं देते थे 
फिर मैं उनसे छुप छुपकर रोता था
वो ऐसा क्यों करते है ,भान ही नहीं होता था

पंद्रह आने प्यार तो एकआने नफरत भी मैं करता था 
कब मैं भी बड़ा बनूंगा? अक्सर सोचा करता था 
दिखा दूंगा एक दिन उनको , मैं भी कुछ हूँ ,ये सोचकर
थोड़ी सी और मेहनत हरदिन किया करता था

और एक अभागे दिन ,जब वो बरगद गिर गया 
ऐसा लगा मुझ कर्ण से उसका,कवच-कुण्डल छिन गया 
सूर्य अस्त हो चुका था और अब तो बस कपटी इंद्र था
जीवन की घनघोर बारिश से ,मैं अंदर तक हिल गया

तब जाके जाना मैंने
जीवन का सत्व ,
जीवन का सार
वो बरगद ही था जो ,हर आग-पानी को खुदमें सौक लेता था
और मुझतक तो केवल छाया-ठंडक आने देता था

आज जो हूँ केवल उनकी वजह से हूँ, ये यादकर
भर जाती है आँखें , कैसा था .... मैं?, ये सोचकर 

और अब इतिहास खुद को दोहरा रहा है 
फर्क बस इतना है ,अब मेरी जगह मेरा बेटा आ रहा है 
बेटा सामने बैठा है और मैं डाँट रहा हूँ उस को
आज मैं जान रहा हूँ पापा होने की चिन्ताओ को
अब समझ आ रही है मुझे ,पुरानी हर घटना जीवन की
कैसे पापा को दुःख दिया, समझा कहाँ व्यथा उनके मनकी

कोशिश करता हूँ बेटे को मैं ,हँसकर ही समझाता हूँ
गुस्सा हो भी जाऊ कभी तो ,बाद में प्यार से मनाता हूँ
मैं नहीं चाहता की वो भी ,देर से पश्चाताप करे
बरगद गिर जाने के बाद रोकर फिर खुद से ही लड़े

की

पापा बरगद से सख्त दिखते थे
पर थे बड़े प्यारे, थे सबके यार
अंतर में छुपाये रखते थे वो
अपनी सारी परेशानियाँ और अपना प्यार।

( लेखक - मनोज गुप्ता , manojgupta0707.blogspot.com )

#पापा  #papa  #HappyFathersDay




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