Saturday, June 6, 2015

लो फिर एक नयी सुबह हुयी


लो फिर एक नयी सुबह हुयी
और पंछी उड़ चला
फिरसे एक नयी उड़ान पे
पंख कुछ घायल से है
मन कुछ उदास सा
और तन कुछ थका-थका सा भी
पर उड़ना तो है
उड़ना ही तो जीवन है
दूर क्षितिज में
आसमान से आगे जाना है
कही छाँव मिले तो ठीक
वर्ना धूप में ही सही
जीवन संगीत
तो गुनगुनाना है

लो फिर एक नयी सुबह हुयी
और पंछी उड़ चला।

#उड़ान #पंछी

Writer- Manoj Gupta , manojgupta0707.blogspot.com


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