लो फिर एक नयी सुबह हुयी
और पंछी उड़ चला
फिरसे एक नयी उड़ान पे
पंख कुछ घायल से है
मन कुछ उदास सा
और तन कुछ थका-थका सा भी
पर उड़ना तो है
उड़ना ही तो जीवन है
दूर क्षितिज में
आसमान से आगे जाना है
कही छाँव मिले तो ठीक
वर्ना धूप में ही सही
जीवन संगीत
तो गुनगुनाना है
लो फिर एक नयी सुबह हुयी
और पंछी उड़ चला।
#उड़ान #पंछी
Writer- Manoj Gupta , manojgupta0707.blogspot.com
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