Saturday, June 6, 2015

"मिलके कॉफ़ी पीयू तेरे साथ"

मालूम नहीं
तुम नाराज़ हो या खुश
वो कल वाले वाकिये की वजह से
दिल के उस कोने में जहा सिर्फ तुम रहती हो
यकायक कुछ पुराने धागे उधड़ गए हैं
और बोहोत मुश्किल से दबाकर रखा
वो नन्हा सा अरमान
"मिलके कॉफ़ी पियूँ तेरे साथ"
उछल के बाहर आ गया
मासूम दिल को मालूम कहाँ था
की वो "सारा जहान मांग बैठा है"
पर तेरी उस शुष्क ना के बाद भी
उस नन्हे अरमान को
दबाके कुचल के
फिर से उस कोने में सील देने को
ये मासूम दिल तैयार नहीं.

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