Saturday, June 6, 2015

"अच्छे हो सच्चे हो तो क्या? (POEM)


"अच्छे हो
सच्चे हो
तो क्या?

दुनिया में आये हो न?
तो दुनियादारी निभाते रहना "

यहाँ अच्छा होने से भी
बोहोत ज्यादा जरूरी है
अपने को बार-बार,लगातार
अच्छा दिखाते रहना

अपने व्यवहार की
लापरवाही को छोड़
ख़ास को ख़ास ,आम को आम
जताते रहना

बेहद जरुरी है फिर से उबर आना
किसी भी जानलेवा हादसे के बाद
और खुद को
अपनी ही नज़रो में उठाते रहना

दिल के उस कोने को
कोई खास जहाँ रहता हो
उस कोने को हमेशा पाक..
और पाक बनाते रहना

साधू सा जीवन
अंदर ही जियो तो अच्छा है
बाहर तो लम्बी गाडी,
महँगा मोबाइल , अच्छी सूरत होना
अच्छा कहलाने को बोहोत जरुरी है
उसको हर हाल में चमकाओ और
दुनिया को दिखाते रहना

 "अच्छे हो
सच्चे हो
तो क्या?
दुनिया में आये हो न?
तो दुनियादारी निभाते रहना "

#LIFE

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