याद इस कदर तुझको
कभी इसी शिद्दत से तूने
दिल भी मेरा पढ़ा होता
वो जो तमाम खतों-किताब
लिखे थे तेरे सजदे में कभी
क्या उनका कुछ भी याद नहीं
कुछ तो रहम गढ़ा होता
दिल चीर पाता तो क्या बात थी
दिखा पाता , दिल में क्या है मेरे
पढ़ ना पायी ,तो देख तो पाती
तेरे बिना ,दिल ये रुका पड़ा होता
एक "बुरा" शब्द मेरा
वो जो तमाम खतों-किताब
लिखे थे तेरे सजदे में कभी
क्या उनका कुछ भी याद नहीं
कुछ तो रहम गढ़ा होता
दिल चीर पाता तो क्या बात थी
दिखा पाता , दिल में क्या है मेरे
पढ़ ना पायी ,तो देख तो पाती
तेरे बिना ,दिल ये रुका पड़ा होता
एक "बुरा" शब्द मेरा
याद इस कदर तुझको
कभी इसी शिद्दत से तूने
दिल भी मेरा पढ़ा होता।
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