Saturday, June 6, 2015

HOLI | HINDI KAVITA

" सखी री
रंग दीनो मोहे कान्हा
बस अपने ही रंग
अब मोहे
ना नींद ना सुधबुध
सागरा जगत दौर रहा
मोपे रंग डारन को
अब तू ही बता
जोन होए श्याम रंग
ओपे कौन रंग
और का सगरी दुनिया "
--मन--

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