Saturday, June 6, 2015

मुझ भूली बिसरी याद की



मुझ भूली-बिसरी याद की
फ़क़त इतनी सी ख्वाइश है

के जिस पल याद आऊं तुझे 
तेरा तन-मन महकना चाहिए
हवाओं में खुशबु ,फ़ज़ाओं में नूर
मिट्टी महके ,हर परिंदा चहके
आसमान से अमृत बरसना चाहिए 

मुझ भूली-बिसरी याद की
फ़क़त इतनी सी ख्वाइश है
फ़क़त इतनी सी ही... 


 




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