मंन का विमान
उड़ा जा रहा हर पल
ढूंढ़ता फिर रहा
गली तेरी , पता तेरा
कही से भी कोई खुशबू आती है
तो लगता है के तुम हो
कही पे भी कोई बदली छाती है
तो लगता है के तुम हो।
--मन--
उड़ा जा रहा हर पल
ढूंढ़ता फिर रहा
गली तेरी , पता तेरा
कही से भी कोई खुशबू आती है
तो लगता है के तुम हो
कही पे भी कोई बदली छाती है
तो लगता है के तुम हो।
--मन--
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