Monday, March 16, 2020

सब तरफ आग है

सब तरफ आग है.... शोर है
रोको- पूछो - छोड़ो -मारो
दीवानों समय अभी भी शेष है
क्यों नहीं तुम सोचो-जागो

जिसको छोड़ा वो भाई था ना
पर जिसको मारा फिर वो था कौन?
जिसको जलाया वो
मंदिर-मस्जिद थे किसके
जिसको बाँध के इतराये फिरते हो
वो कलावे  वो तावीज दोनों थे "उसके"

जिनके स्कूल जलाकर तुमने समझा
तुम रोक लोगो उनकी उड़ान
उन बच्चो की चीख कभी निकलेगी
और हिला देगी  उठ्ठेगा तूफ़ान

सब तरफ आग है.... शोर है
रोको- पूछो - छोड़ो -मारो
दीवानों समय अभी भी शेष है
क्यों नहीं तुम सोचो-जागो

(ये कविता मैंने दिल्ली दंगे 2020 के दौरान लिखी थी)




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