Sunday, March 15, 2020

कश्मकश

अब बस यही कश्मकश
मेरी जान लिए जाती है
तुमको गुलाब दूँ के ना दूँ
के तुम ख़ुद गुलाब हो
शर्मिंदा गुलाब होगा
निहार तेरे शबाब को
और गुलाबी हो जाएगा
शर्म से ..ईर्षा से .. बेचारगी से।

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