कृष्ण..प्रेम एक ही..
प्रेम है तो कृष्ण है
प्रेम बिना तो कृष्ण भी कुछ नहीं
प्रेम है तो कृष्ण है
प्रेम बिना तो कृष्ण भी कुछ नहीं
राधा हो के मीरा
“मन” हो या सुदामा
सबको बस एक ही आस
सबकी बस एक ही प्यास
सबको बस कृष्ण में विलीन होना है
सबको बस कृष्ण में विलीन होना है
अपना आप खो देना है
सच है ना
प्रेम-पारस ने ही छूकर
एक गवाले को कृष्ण बना दिया
एक कतरा था , समंदर बना दिया
कृष्ण..प्रेम एक ही..
प्रेम है तो कृष्ण है
प्रेम बिना तो कृष्ण भी कुछ नहीं।
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