क्या हमको याद है के ,
दीपावली और राम का क्या नाता है ?
अब तो बस चायनीज़ लाइटें ,
जबरन मेवे ठूँसी बासी मिठाइयाँ ,
रोड पे रेंगता - झींकता ट्रैफ़िक ,
दीपावली बोनस की एक्स्पेक्टेशन ,
और मायूस फ़्रस्ट्रेटेड चेहरों पे टेंशन ,
ही दीपावली नज़र आता है
ऑनलाइन कम्पनियों की झूठी सेल है ,
रिश्वत लेने-देने का बेशर्म मेल है ,
दमघोंटू सारा आलम बन गया है गैस चैम्बर ,
एक एक साँस के लिये हो रही है जद्दोजहद ,
अगली दीपावली तक बचेंगें या मरेंगें
दीपावली पे यही समझ नहीं आता है।
बहुत हुआ आओ अब , चैन-सुकून की साँस लें ,
पटाखों , ट्रैफिक ,बाज़ारू मिठाइयों को गुड बाय कहें ,
अपनी जेब देखे , फिर कुछ खर्च करें
भागमभाग की बजाये ठहर कर आराम करें
दिये जलायें , परिवार के साथ वक़्त बिताएं ,
बच्चों को अपनी संस्कृति की अहमियत समझायें
दोस्तों - रिश्तेदारों को शुभकामनायें दें ,
पर व्यर्थ के उपहार आडम्बर से बचें
राम को जाने , रामराज्य को जाने
जहाँ सब सुख से जीते हैं , दूसरों को निर्लिप्त भाव से प्रेम करते हैं
दूसरे धर्म को मानने वालों का भी सम्मान सत्कार करते हैं ,
उनको अपने से छोटा या बड़ा नहीं , समान समझते हैं
जैसे राम दीपावली पर घर लौट आये थे
आओ हम भी लौट आये सुकून के राज्य में
अपने राम के पास , अपने राम की मर्यादा में ,
रामराज्य में।
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