कान्हा की पाती पारुल के लिए
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तू मेरी बेटी है
तू बस इतना ही समझ..
तू रह यूँही
"बेफ़िक्र"
"निश्चल"
"निर्मल"
"कोमल"
पर "निर्भय"
और एक पल के लिए भी
तू चिंता ना कर
क्यूँकि ..
...मैं हूँ ना ...
जीवन की मस्त बहारों के बीच
ये जो उदासी का सबब आया है
मेरी ही मर्ज़ी है
इसलिए ये पल भी आया है
फ़ूल फिर से खिलेंगे
और उनकी ख़ुशबू से महकेगा आँचल तेरा
क्यूँकि ख़ुशबू तो तेरे अन्तर की है
जिसने पूरे घर परिवार को महकाया है
तू मेरी बेटी है
तो बस इतना ही समझ..
तू रह यूँही
"बेफ़िक्र"
"निश्चल"
"निर्मल"
"कोमल"
पर "निर्भय"
और एक पल के लिए
तू चिंता ना कर
क्यूँकि ..
...मैं हूँ ना ...
-मन

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