सखी री....रगं दीनों मोहे कान्हा
बस अपने ही रंग ।
अब मोहे
ना नींद ना सुधबुध
सगरा जगत दौड़ रहा
मोपे रगं डारन को
अब तू ही बता
जौन होए श्याम रगं
ओपे कौन रगं चढ़े
और का सगरी दुनिया
सखी री....
रगं दीनों मोहे कान्हा
बस अपने ही रंग ।
-मअन्
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