मलिका हो तुम
खुदा करे तुम्हारा
खुदा करे तुम्हारा
हुस्न-ओ-जमाल
और बढ़े
मेरा क्या.?
मेरा क्या है
मैं तो एक युग से प्यासा हूँ
तो शायद ऐसा ही मरूँ
तुम जिसे चाहो
उसे अमृत ही मिले , और प्यास
और बढे
दिन बोहोत ख़ास है आज
और बोहोत दूर हूँ मैं
जो पास है तुम्हारे दिल के
उनसे तुम्हारा
तारुफ़-ओ-राब्ता ,मेल-ओ-मुलाक़ात
और बढे
मलिका हो तुम
खुदा करे तुम्हारा
मेरा क्या.?
मेरा क्या है
मैं तो एक युग से प्यासा हूँ
तो शायद ऐसा ही मरूँ
तुम जिसे चाहो
उसे अमृत ही मिले , और प्यास
और बढे
दिन बोहोत ख़ास है आज
और बोहोत दूर हूँ मैं
जो पास है तुम्हारे दिल के
उनसे तुम्हारा
तारुफ़-ओ-राब्ता ,मेल-ओ-मुलाक़ात
और बढे
मलिका हो तुम
खुदा करे तुम्हारा
हुस्न-ओ-जमाल
और बढ़े।
और बढ़े।
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