Sunday, March 15, 2020

मलिका हो तुम



मलिका हो तुम
खुदा करे तुम्हारा 
हुस्न-ओ-जमाल 
और बढ़े

मेरा क्या.?
मेरा क्या है 
मैं तो एक युग से प्यासा हूँ
तो शायद  ऐसा ही मरूँ 
तुम जिसे चाहो
उसे अमृत ही मिले , और प्यास 
और बढे  

दिन बोहोत ख़ास है आज 
और बोहोत दूर हूँ मैं
जो पास है तुम्हारे दिल के 
उनसे तुम्हारा 
तारुफ़-ओ-राब्ता ,मेल-ओ-मुलाक़ात 
और बढे

मलिका हो तुम
खुदा करे तुम्हारा 
हुस्न-ओ-जमाल 
और बढ़े। 






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