Wednesday, December 31, 2014

एक मुद्दत से..... तेरी मदहोश जुल्फों को

एक मुद्दत से.....
तेरी मदहोश जुल्फों को
ना लहराते देखा
जब भी देखा इन्हे....बस दूर से
गुमसुम..... मुस्कुराते देखा

आप कुछ भी कीजिये
मगर इन्हे बांधा ना कीजिये
मै भी बंध जाता हूँ
मेरा खैरख्वाह  भी
और उसके साथ
सारी कायनात भी

एक मुद्दत से.....
तेरी मदहोश जुल्फों को
ना लहराते देखा
जब भी देखा इन्हे....बस दूर से
गुमसुम..... मुस्कुराते देखा।



Monday, December 15, 2014

फ़क़त एक इश्क़ ..

फ़क़त एक इश्क़
और जिंदगी तमाम
सभल जा दीवाने
ज़माने में दस्तूर समझदार होने का
चल पड़ा कबसे.
--मन--

तूने ही आह ली होगी (kavita)

इस सुबह मे ...
कुछ धुंध सी जो है
जरूर तूने ही आह ली होगी
अभी अभी...
--मन-

मेरे दिल-ए-हाल के मानिंद था मेरे शहर का मौसम

कल रात....
मेरे दिल-ए-हाल के मानिंद था मेरे शहर का मौसम
आँखों में कुछ धुंद सी थी
सीने में यादो के मचलते तूफ़ान
हर अंग से बरसते प्यार सा वो सर्द पानी
और मन में नई बिजलियों सी वो आतुर जवानी
अब तो आजा ...
के आज मौसम भी है मौका भी है दस्तूर भी है
फिर ना कहना के हमने बुलाया नहीं तुमको रानी.
--मन--

Thursday, November 27, 2014

तू मुझे कर रही अनदेखा....

तू मुझे कर रही अनदेखा
तेरी बेरुखी का मुझे गम नहीं
मेरे लिए तो प्यार जिंदगी है
तुझे दूर से ही सही....
प्यार करता रहू
ये इनायत भी कुछ कम नहीं.
--मन--

Wednesday, November 26, 2014

और बेइंतहा तन्हाईयाँ.....

जिस दिल में गूंजती थी कभी ...
प्यार की शहनाईयां.
आज वहा बस एक  सुनसान है...
ग़ुरबत है...
और बेइंतहा तन्हाईयाँ.
--सु--

Wednesday, November 19, 2014

वो आये मेरे ख्वाब में...

आज की सुबह बेहद  हसीं है क्युकी
उनका दीदार हो गया.
वो आये मेरे ख्वाब में...
बोले......
मुझे भी प्यार हो गया.
मै क्यों जानू के इन..
सुबह के ख्वाबो की हक़ीक़त क्या है.?
मै क्यों जानू के इन..
सुबह के ख्वाबो की हक़ीक़त क्या है.?
बन्दे का तो कुछ और साल जीने का..
आधार हो गया.
--मन--

Saturday, November 15, 2014

कनखियों से मुझे देख-देख....

कनखियों से मुझे देख-देख....
कब तक जियेगी तू?
कनखियों से मुझे देख-देख....
कब तक जियेगी तू?
कमबख्त एक बार नज़र भर के ही देख ले
तू भी जी पाएगी
मै भी मर पाउँगा।
--मन--

Thursday, November 13, 2014

मै जब तब सांस भी लू ...

खुदा करे के मोहब्बत में वो मकाम आये
मै जब तब सांस भी लू ...
तेरा ही नाम आये.
तू जिंदगी में शामिल हों पाये तो अच्छा ..
ना हों पाये तोभी ..कोई बात नहीं.
पर मेरी मौत के बाद ....
हर दिन तेरा सलाम आये.

--मन--

इश्क़ की आग...

इश्क़ की आग ने इस कदर तपाया मुझको
खरा सोना भी बना...
फिर फ़क़त कोयला ही बन सका.
--मन--

तेरी चाहत में......

तेरी चाहत में इस कदर रूहानी हों रहा हू
दीन से ...दुनिया से बेमानी हों रहा हू
*मै* तो बदस्तूर खत्म हों रहा मेरा
खुदा बनने को ..... हों रहा हू.
--मन--

फ़क़त एक ही ख्वाइश है तेरे दीवाने की

फ़क़त एक ही ख्वाइश है तेरे दीवाने की
के तू हो रूबरू....
और हों कुछ तनहा सुकून के पल
वर्ना तो क्या ये सारे जहाँ की दौलत?
और क्या ये खुदा का मिल जाना?

--मन--

Friday, November 7, 2014

फाकामस्ती...

अच्छा हुआ वो चले गए
जो केवल पैसा समझते है
ये दिलवालो की बस्ती है
जहां रूहानी ख़ुशी
पर..... फाकामस्ती है

मै तुझसे फिर मिलूंगा ( कविता )

(  मैं पहले ही ये कह दूँ की मेरी ये कविता अमृता प्रीतम जी की कविता से प्रेरित है
मैं खुद को रोक ही नहीं पाया इस कविता के साये में अपने जज्बात व्यक्त करने को  )
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मै तुझसे फिर मिलूंगा
कब...कहाँ......
किस तरह.....
पता नहीं .

शायद तेरी क्लास का बैकबेंचेर स्टूडेंट बनके
तुझको टीज़ करूंगा
या फिर तेरे ब्लैकबोर्ड के कोने में एक अधमिटा चित्र रहके
तुझको खामोश तकता रहूंगा.
पता नहीं किस तरह ...
और कैसे..
पर मै तुझसे जरूर मिलूंगा.

जब सुबह को तू सैर को निकलेगी
मै ठंडी हवा बनके तेरे गालों को छू लूँगा
या फिर नरम नरम घास बनके तेरे कदमो का चुम्बन लूँगा
मुझको खुद पता नहीं कैसे,
और कहाँ ...
पर मै मिलूंगा.... जरूर मिलूंगा.

सर्दियों की रातों में जब तू अलाव जलायेगी
मै एक तपिश बनके तेरी हथेलियों के बीच पिसता रहूँगा
या फिर एक बेरहम अंगारा उड़ के तेरी शाल में एक छेद बनूँगा
मै सच में नहीं जानता कहा और कैसे..
पर इतना जानता हु के मै तुझ से मिलूंगा
जरूर मिलूंगा

ये जिस्म ख़तम होता है
तो सबकुछ ख़त्म नहीं हो जाता
यादो के मीठे जख्म कायनात तक साथ रहते है
मै उन जख्मो के मीठे दर्द को हमेशा पोसता रहूँगा.
और कभी न कभी तुझसे जरूर मिलूंगा
पर पता नहीं कैसे..
कब..
और कहा...
पर जरूर मिलूंगा..

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Tuesday, November 4, 2014

उनकी बेरुखी

उनकी बेरुखी को सहना मुश्किल,
और मौत में आसानी लगती है
वो तो खुश है अपनी जिंदगानी में
हमको अपनी ही जिंदगी बेमानी लगती है.
--मन--

उनकी आँखों के ये दो ख़ूबसूरत मदहोश चराग

उनकी आँखों के ये दो ख़ूबसूरत मदहोश चराग
जलते है...
तो दुनिया ये रोशन सी लगे
मेरे मौला तू रौशनी इनकी..
बढ़ा और बढ़ा..
के इस बे-नूर के जीवन में..
कुछ तो नूर आ पाये.
--मन--

तेरी मेरी प्रेम कहानी ...

तेरी मेरी प्रेम कहानी का अंजाम होगा क्या?
खुदा जाने
मै तो बस इश्क़ किये जा रहा हू
बेख़ौफ़,
बेपरवाह,
बेपनाह.....
बे-मुर्रवत
तुझसे....

बरसो बाद भी

मेरी आँखे तो सदा बरसती रही,
पर तेरी आँखों में
कभी नमी ना हुई

मेरी वफ़ा में...
तेरी बेरुखी में
बरसो बाद भी
कहीं कोई कमी ना हुई.

गुस्ताखी....

ज़रूर मैंने ही कोई गुस्ताखी कर दी होगी
वर्ना ज़माना तो कहे के -तू आमिर(शाह) है
इसीलिए जहा ज़माना मस्त है तेरी दिलदारी में
तेरा आशिक़ ही बेजान सुनसान सा है
अपनों में रहता है पर अनजान सा है
हर शै में तुझे ढूँढता बियाबान सा है 



Monday, October 20, 2014

तुझको देखा था पहली बार, कॉलेज के गर्ल्स commen रूम के बाहर,...

मेरी एक बोहोत ही ख़ास दोस्त डिम्पल को उसके जन्मदिन पर समर्पित---
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तुझको देखा था पहली बार,
कॉलेज के गर्ल्स commen रूम के बाहर,
सनसनाता हुआ एक तूफ़ान सी थी तू,
और मेरे साथ था,एक निरीह बकरी सा मेरा यार,
तुझको तो मालुम कहाँ था हम दोनों के दिल का हाल.
मै तो थोड़ा थोड़ा,पर वो तो बोहोत करता था तुझसे प्यार,
फिर मैंने दोस्त के लिए अपने नन्हे से प्यार को कर दिया कुर्बान,
तुझसे दोस्ती बढ़ाई और दोस्त की सेटिंग कराई,
यार तू तो उससे शादी करके सेट हो गयी,
साला मै तुम लोगो की सेटिंग में अपना सब कुछ खो बैठा,
इतना बेध्यान हो गया था मै,मेरी अपनी सेटिंग को कोई और ही लूट बैठा,
फिर हम सब अपनी अपनी जिंदगी के संघर्ष में खो गए,
पास पास रहते रहते भी बोहोत दूर दूर से हो गए,
अब इतने सालो के बाद हमसब फिर से साथ साथ है,
कभी कभी जल्दी से मिल पाते है तो कभी देर से,
पर दिल से एकदम पास पास है..
पर दिल से एकदम पास पास है.............

--मन--








Saturday, October 18, 2014

जल(पानी) भी मै हु, जलजला भी..

मै जल के भी तुझसे कैसे जलु,
एक  तो तू ही मेरा यार तू ही मेरा प्यार,
दूसरे तुझको भी ये मालूम है की,
जल(पानी) भी मै हु, जलजला भी..

Friday, October 17, 2014

हसीन गुलाब सी थी वो | HINDI KAVITA


" जब पहल- पहल देखा उसको

हसीन गुलाब सी थी वो ,
फलक ( आसमान) पे मुस्कुराता हुआ 

महताब ( चाँद ) सी थी वो 


लोग कहते रहे मुझको 
इतनी कमाल कहाँ है वो *मन* ?
*मन* ये कहता रहा के
शब्दकोष भी कम है जो उसे परिभाषित करे 
तू क्या जाने के

सारी कायनात की जद्दोजहद में बस है वो 

कैसे कहूँ , पर क्यों ना कहूँ 

के सारी कायनात है वो 


जब पहल- पहल देखा उसको 

तो हसीन गुलाब सी थी वो ,
फलक (आसमान) पे मुस्कुराता हुआ 

महताब ( चाँद ) सी थी वो "

Monday, October 13, 2014

एक चुम्बन तेरे अधरों का......

मौका तुझसे फिर मिलने का
मिल जाए तो जीवन है
वर्ना क्या है जीवन ?
रहे तो ठीक,, ना रहे तो भी ठीक.

इज़ाज़त तुझको छूने की
जो मिल पाये तो जीवन है.
वर्ना क्या है जीवन ?
रहे तो ठीक,, ना रहे तो भी ठीक

एक चुम्बन तेरे अधरों का
जो मिल पाये तो जीवन है
वर्ना क्या है जीवन ?
रहे तो ठीक,, ना रहे तो और भी ठीक। 

Saturday, October 11, 2014

chankaya neeti



चाणक्य के 15 सूक्ति वाक्य ----
1) "दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी."
2)"किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार (सीधा साधा ) नहीं होना चाहिए ---सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं."
3)"अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे डंस भले ही न दो पर डंस दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए. "
4)"हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है --यह कडुआ सच है."
5)"कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो ---मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?"
6)"भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो ."
7)"दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है."
"काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो."
9)"सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है."
10)"ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ."
11) "व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं."
12) "ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे. सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं ."
13) "अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो .सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो.आपकी संतति ही आपकी सबसे
अच्छी मित्र है."
14) "अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है ."
15) "शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं !

Saturday, October 4, 2014

जब तुम साथ थी | hindi kavita


" तुम मेरे साथ थीं , तो मै भी कुछ था
अब तुम साथ नहीं , तो मै भी कहाँ कुछ रहा


तुम वापिस आ जाओ ना 
जीवन-सूरज बस अब बुझने को है
तेरी चांदनी मिल जाये तो 

शायद चमक सकूँ मैं भी फिरसे 

कुछ पल के लिए ही सही , 
सूरज सा नहीं , तो बस जुगनू सा ही सही 

रौशनी को ,जीवन को , मैं महसूस तो करुँ

चलते-चलते ही सही , ढलते-ढलते ही सही 


तुम मेरे साथ थीं , तो मै भी कुछ था
अब तुम साथ नहीं , तो मै भी कहाँ कुछ रहा "



Friday, September 26, 2014

तेरे मेरे सपने | HINDI KAVITA





तेरे मेरे सपने कभी जुदा-जुदा ना थे
जाने क्यों फिर भी "हम" कभी मिल ना सके

मेरी तो फ़क़त बस यही आरज़ू रही
तू ही मेरी हमसफ़र मेरी हमनवा बने
तू ही तो है मेरी मलकियत का वो खुशनुमा हिस्सा
ख्वाब है किसी रोज़ तू मेरी... फ़क़त मेरी ही बने

तेरे मेरे सपने कभी जुदा-जुदा ना थे
जाने क्यों फिर भी "हम" कभी मिल ना सके

तेरा वजूद ना होता तो फिर मैं भी कहाँ ऐसा होता
तू दिखे या ना दिखे...
तू मिले या ना मिले...
तेरे खुशबू तो मेरी साँसों की जागीर बने
ये खुशबु है तो शायद मैं भी कुछ हूँ
वर्ना तो मैं कुछ भी नहीं
कुछ भी नहीं....

तेरे मेरे सपने कभी जुदा-जुदा ना थे
जाने क्यों फिर भी "हम" कभी मिल ना सके


Monday, September 22, 2014

भूल मेरी ही थी तो | HINDI KAVITA





" भूल यकीनन मेरी ही थी 
तो अपनी भूल की सज़ा मैं जिए जा रहा हूँ

तू तो खुश है बहुत
और हमेशा ही खुश ही रहे
मैं ही जीने का साहस ना कर सका था , तो अब
हर पल थोड़ा - थोड़ा मरे जा रहा हूँ

भूल यकीनन मेरी ही थी 
तो अपनी भूल की सज़ा मैं जिए जा रहा हूँ "




Saturday, August 23, 2014

वो जो बो गयीं थीं तुम | HINDI KAVITA


वो जो बो गयीं थीं तुम
मेरे मन के आँगन में
वो गुलाब की कलम

आज वो बन गयी है मेरे
इज़हार-ऐ -ज़ज़्बात की कलम
आज भी खुशबू है इसमें
तेरे पाक हसीन हाथों की
जो भी लिखता हूँ मैं उसे
इबादत* बना देती है
तेरे अहसास की कलम

वो जो बो गयीं थीं तुम
मेरे मन के आँगन में
वो गुलाब की कलम।
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kalam= ^ a small branch of gulaab
^^ wooden pen(made of wood)
*ibaadat= prayer
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Wednesday, August 20, 2014

एक नन्ही ख़ुशी

एक नन्ही ख़ुशी अभी 
आयी भी ना थी ,तेरी बाँहों में 
के दो दैत्य तूफ़ान आ गए 
पहले ही ,तेरी राहों में 
पर तू परेशान मत होना 
तू मेरी "छोटी" है 
और मेरा "बड़ा" वो है 
जो कहता है की 
"जो हूँ बस मैं हूँ 
बस मैं ही हूँ 
बाकी तो कुछ भी नहीं 
कुछ भी नहीं "


Monday, August 18, 2014

हम मुक्त रहें | HINDI KAVITA

" हम मुक्त रहें 
उन्मुक्त रहें 
जीवन में ना कभी 
सुस्त रहें 
जीवन की आपा-धापी में 
व्यस्त रहें पर 
चुस्त रहें 

जीवन है सुन्दर 
है सुशील ये 
लोहा भी है ये 
मोम भी है ये

लोहा जिस्म मे 
मोम सा दिल लिए
और आत्मा 
ईश्वरीय धुन लिए
सबसे मिलें हम 
सात्विक मन लिए
पवित्र बनें हम 
पवित्र जियें हम 

हम मुक्त रहें 
उन्मुक्त रहें 
जीवन में ना कभी 
सुस्त रहें 
जीवन की आपा-धापी में 
व्यस्त रहें पर 
चुस्त रहें "
  

Tuesday, August 12, 2014

ऐ चाँद | HINDI KAVITA







ऐ चाँद तेरा दीदार नहीं हो रहा 
ईद दूर है और अमावस्या की रात बहुत लम्बी 

पर क्या फ़र्क़ पड़ता है

हमको तो फ़क़त तेरे
दीदार का है शौक-ऐ -जुनूं
फिर मौत आये तो आये
क्या फ़र्क़ पड़ता है 

Monday, August 11, 2014

Tum Kyu Nahi Aayi | HINDI KAVITA




ये मदमाती बारिश तो आ गयी 
तुम अबतक नहीं आयीं  ?
विज्ञान तो कहता है 
बिजली आ जाती है 
बारिश से बहुत पहले ही 
पर तुम नहीं आयीं 

रौशनी सी कुछ दिख्खी तो थी 
पर मैं जान नहीं पाया शायद 
वो "आँखें" नहीं मिली ना अब तक 
तो पहचान नहीं पाया शायद 

देखो या तो वो आँखे दे दो वर्ना तो 
तुम भी साधारण से ही रहो 






Saturday, July 26, 2014

दिल के लगाने के लिए | HINDI KAVITA


दिल के लगाने के लिए 
तेरा ही तसव्वुर , हर दीवाने को 

अब शिकवा करूँ
तो किस किस से करूँ 

अब शिकवा करूँ

तो किस किस से करूँ 
जबकी मुझको भी है मालूम
की सारे जहाँ की
नज़ाकत ,
नफासत ,
हसीनियत ,
सिमट के रह गयी
फ़क़त आपके किरदार में ही
तो बस
आपकी ही तम्मन्ना
आपका ही ख़याल
हर पागल परवाने को

दिल के लगाने के लिए 
तेरा ही तसव्वुर , हर दीवाने को। 


Tuesday, July 22, 2014

हर गुफ्तगू के पहर (sher)


हर गुफ्तगू के पहर,
तुम्हारा वो झूठा गुस्सा

"तुमने ऐसा क्यूँ कहा ? "
"तुमने ऐसा क्यूँ किया  ? "
"अब फिर से क्यूँ ? "
"आज के बाद तो कभी नहीं "


मैं हर हुक्म बजा लाता तेरा ,
खुदा जान के 
तुम क्यूँ नहीं बन गयी थी ,
रहबर मेरी
तुम साथ तो चलती बनकर ,
हमसफर मेरी।

Monday, June 16, 2014

जीवन नदी है | HINDI KAVITA


" मुझको मालूम है की

जीवन एक नदी है ,
और हम निरंतर बह रहें हैं ,

अब कोई और आस नहीं 

बस एक तूफ़ान की आस है 

तब ना किनारे बचेंगें ,
ना कोई तयशुदा रास्ता 
बस एक तूफ़ानी नदी होगी .. प्यार की 
बिंदास , बदहवास , बेलगाम , बेखौफ
और अंत में बचेगा तो बस प्यार
हमारा प्यार 

मुझको मालूम है की जीवन एक नदी है ,
और हम निरंतर बह रहें हैं । "

Tuesday, June 10, 2014

ओ रे कान्हा मैं तुझसे

अक्सर हम सब आपस में बात करते है की
अगर कभी भगवान् स्वयं मिल जाएँ
और अचानक पूछ लें
 "बोल सखा क्या चाहता है ,जल्दी बोल
जो भी तू तुरंत अभी बोलेगा ,वही हो जाएगा "

तो मैंने सोचा, कान्हा कभी ना कभी तो मुझे मिलेगें ही ,तो मैं क्या कहूंगा, सोचकर लिख ही लेता हूँ :)

तो ये कविता लिख डाली

प्यार से पढ़िये ,आशा है आपको अच्छी लगेगी




 सखा का सखा से निवेदन
-----------------------------
" मैं इतना भारी बनूँ के
"हनु" से भी ना हिल पाऊँ
और इतना हल्का भी के
पंछी संग मैं उड़ जाऊं

इतना गहरा हो जाऊँ के
शीर-सागर भी कम पड़ जाये
और इतना उथला भी के
बालक तैर के पार निकल जाये

इतना ऊँचा हो जाऊँ के
सातवाँ आसमान छू लू तर्जनी उंगली से
और इतना बौना भी के
बच्चों संग कंचे खेलूँ गली में

इतना विस्तृत बनूँ.. नाप दूँ
पूरी धरा एक ही पग में
और इतना सीमित भी के
चैन की नींद सोऊ अपनी छोटी सी कुटिया में

इतना चपल-सुन्दर मैं हो जाऊं
बन जाऊं स्वर्ण मृग मैं
सीता-हरण में भागी बनकर
नवजीवन पाऊँ राम बाण में

ओ रे कान्हा मैं तुझसे
बस इतना ही चाहूँ
बस इतना सा ही की

मैं इतना भारी बनूँ के... "

-----------------------------
हनु= हनुमान
शीर-सागर= विष्णु भगवान् का वास स्थान
उथला- बहुत ही कम गहरा



चाँद का इंतज़ार | HINDI KAVITA

उम्मीद का सूरज उग आया 

इसमें प्रकाश है.. जीवन है 
पर भीषण तपन भी 
अब तो मुझे बस मोहब्बत के चाँद का इंतज़ार है 
ताकि इस जले हुए " मन " को कुछ तो राहत मिले
और जीने का ...

इस तपन को कल सुबह फिर से सहन करने का
हौसला मिले 

उम्मीद का सूरज उग आया 
इसमें प्रकाश है.. जीवन है 
पर भीषण तपन भी । 

Saturday, June 7, 2014

तेरी बेरुखी

तेरा हर तोहमत-ओ -इलज़ाम गवारा 
प्यारा है मुझे 
फ़िक्र-ओ -शुबा तो फ़क़त 
तेरी बेरुखी से है। 

Monday, May 26, 2014

कल सुबह फिर से | HINDI KAVITA






चल अब उदासी छोड़ भी दे
ऐ मेरे दिल ,
कल सुबह फिर से 
सूरज उदयीमान होगा 

हर लाचार नमी सोख लेगा वो फिर 
चाहे किसी बेबस के आँसू हों या 
फूलों-पत्तियों पर ढलकी हुयी ओस के मोती
या फिर बारिश का अनाथ पानी
धरती माँ का भी ठुकराया हुआ  
तू बस विश्वास रख
अगाध विश्वास

चल अब उदासी छोड़ भी दे
ऐ मेरे दिल 
कल सुबह फिर से 
सूरज उदयीमान होगा 

Saturday, May 24, 2014

लाइट - हाउस | HINDI KAVITA



" मैं एक पुराना, खुरदुरा सा बदसूरत लाइट - हाउस हूँ 
निश्छल
रोशन  
अडिग 
स्तब्ध
आप एक खूबसूरत तूफानी नाव हैं ,
बेख़ौफ़
बेपरवाह
बेधड़क
बेरहम

मुझको मालूम है की आज आपको मेरी जरुरत नहीं 

मगर .... मगर 
जब तूफ़ान घेर लें तब तुम मेरी तरफ देखना
मैं राह भी दिखाऊंगा , जीने की आस भी दूंगा "

Friday, May 23, 2014

मुझे बस तेरी खुशियों की ख्वाइश है | HINDI KAVITA




" मुझे बस तेरी खुशियों की ख्वाइश है 

जन्नत की नहीं 

जन्नत उन्हें देदो , जो तेरे हमकदम है 

मुझे तो बस तेरी मुलसलल मुस्कराहट काफी है 

साँस लेते रहने के लिये 

जीते रहने के लिये "

Tuesday, May 20, 2014

गहरे तक HINDI KAVITA



दिल में एक काँटा गड़ा है
बरसों से 
गहरे तक 
ये दर्द बड़ा ही प्यारा है
बरसों से 
गहरे तक 
अब कैसे निकाल लूँ इस कांटे को, ये तो 
एक पुल है, हमारी रूहों के बीच
बरसों से  
गहरे तक 
बहुत गहरे तक।  

Saturday, May 10, 2014

वो शै जो ... | HINDI KAVITA



"अब तो ना पीते बनता है , न जीते हमसे 

ना मरते बनता है , ना कुछ करते हमसे 

वो शै जो सुकून देती थी , ना जाने कहाँ गयी 

क्या करूँ , कैसे जियूँ , प्यार अब भी है उनसे "


Friday, May 9, 2014

जब तुम थीं | HINDI KAVITA


जब तुम थीं 
राहत थी
सुकु था 
अब तो जुगनू भी 
झुलसा रहा मुझे 
आफताब की मानिंद। 


Wednesday, May 7, 2014

तू भी कहीं महकती होगी, चाहे दूर ही सही | HINDI KAVITA




जब रात की रानी की मादक खुशबू
तन-मन को मेरे महकाती है
तो याद आता है
तू भी कहीं महकती होगी
चाहे दूर ही सही

जब सूरज की पहली किरणें
मुझे , तेरे ख़्वाबों से जगातीं है
तो याद आता है
तू भी बस अभी अलसाई सी जागी होगी
चाहे दूर ही सही

जब कोयल की कुहू-कुहू
तेरी वो, कभी ना ख़त्म होने वाली बातें याद दिलाती है
तो याद आता है
तू अब भी कहीं चहकती होगी
चाहे दूर ही सही

जब बारिश की वो सर्द बौछारें
मुझे अंतर तक भिगा जाती है
तो याद आता है
तू भी बस इसी पल भीगी- बहकी सी होगी
चाहे दूर ही सही

जब प्रणय व्याकुल मोरनी
जंगल में प्रेम-मग्न नाचती है
तो याद आता है
तू भी कहीं मोरनी सी व्याकुल होगी
चाहे दूर ही सही

जब किसी का मादक सौंदर्य
तन-मन को मेरे बहकाता है
तो याद आता है
तू भी तो उसी मीठे दर्द में कसमसा रही होगी
चाहे दूर सही

जब रात की रानी की मादक खुशबू
तन-मन को मेरे महकाती है
तो याद आता है
तू भी कहीं महकती होगी
चाहे दूर ही सही.,    मुझसे  बहुत दूर ही सही.
(manoj gupta )
#man0707




आपका ख़याल | HINDI KAVITA




" कम्बख्त नींद भी अब कहाँ आये 
हर तरफ आप हैं
और आपका जमाल  
कोई बस..... इतना ही बता दे मुझको
अभी-अभी बस कुछ चंद साँस पहले  
ये सचमुच आप थी
या आपकी खुशबू 
या महज़ आपका khyaal 
कम्बख्त नींद भी अब कहाँ आये 
हर तरफ आप हैं
और आपका जमाल "

कहाँ तू और कहाँ मैं




कहाँ तू और कहाँ मैं 

जहां तू थी
एक खूबसूरत,मस्त बिंदास बाला
वहीँ मैं था
बहुत बड़ा भोंदू साला 
जीवंत ड्राइव में फुल स्पीड पे थी तू
और वहीं एक सन्नाटे में जी रहा था मैं
हम मिले तो तूने पहचाना था मुझे 

मेरे हीअंतर से मिलवाया था तूने मुझे 
फिर और भी लोग लगे थे कहने 
वाह मनु तू तो है वाह वाह
तूने वो क्लास दीनी थी मुझको 

जो खोज रहा था मैं बरसो से
22 साल का साथ हमारा 

लग रहा बस कल परसों से 
आज तू 40 साल की हुयी
पर मेरे लिए बस 20 की है तू अब भी
क्युकी मैं भी खुद भी 

21 से ज्यादा होना ना चाहूँ
बस खोजुं वो मस्ती पहली सी
wimpy,priya और सूरजकुंड
जहाँ नीलगगन में पंछी उड़ते 

और बना के अपना एक झुण्ड
आज की बात करें क्या हम तुम
क्या हैं हम,हम खुद भी ना जानें
क्या बन पाएंगे फिरसे
हम पहले से जाने-पहचाने 

आज फिर
एक तू थी और एक मैं था
जहां तू थी मस्त बिंदास बाला

वहीँ मैं था बहुत बड़ा भोंदू साला।

(ये कविता मैंने अपनी दोस्त कविता के लिए उसके ४० वे जन्मदिन पे लिखी थी )