Monday, June 16, 2014

जीवन नदी है | HINDI KAVITA


" मुझको मालूम है की

जीवन एक नदी है ,
और हम निरंतर बह रहें हैं ,

अब कोई और आस नहीं 

बस एक तूफ़ान की आस है 

तब ना किनारे बचेंगें ,
ना कोई तयशुदा रास्ता 
बस एक तूफ़ानी नदी होगी .. प्यार की 
बिंदास , बदहवास , बेलगाम , बेखौफ
और अंत में बचेगा तो बस प्यार
हमारा प्यार 

मुझको मालूम है की जीवन एक नदी है ,
और हम निरंतर बह रहें हैं । "

Tuesday, June 10, 2014

ओ रे कान्हा मैं तुझसे

अक्सर हम सब आपस में बात करते है की
अगर कभी भगवान् स्वयं मिल जाएँ
और अचानक पूछ लें
 "बोल सखा क्या चाहता है ,जल्दी बोल
जो भी तू तुरंत अभी बोलेगा ,वही हो जाएगा "

तो मैंने सोचा, कान्हा कभी ना कभी तो मुझे मिलेगें ही ,तो मैं क्या कहूंगा, सोचकर लिख ही लेता हूँ :)

तो ये कविता लिख डाली

प्यार से पढ़िये ,आशा है आपको अच्छी लगेगी




 सखा का सखा से निवेदन
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" मैं इतना भारी बनूँ के
"हनु" से भी ना हिल पाऊँ
और इतना हल्का भी के
पंछी संग मैं उड़ जाऊं

इतना गहरा हो जाऊँ के
शीर-सागर भी कम पड़ जाये
और इतना उथला भी के
बालक तैर के पार निकल जाये

इतना ऊँचा हो जाऊँ के
सातवाँ आसमान छू लू तर्जनी उंगली से
और इतना बौना भी के
बच्चों संग कंचे खेलूँ गली में

इतना विस्तृत बनूँ.. नाप दूँ
पूरी धरा एक ही पग में
और इतना सीमित भी के
चैन की नींद सोऊ अपनी छोटी सी कुटिया में

इतना चपल-सुन्दर मैं हो जाऊं
बन जाऊं स्वर्ण मृग मैं
सीता-हरण में भागी बनकर
नवजीवन पाऊँ राम बाण में

ओ रे कान्हा मैं तुझसे
बस इतना ही चाहूँ
बस इतना सा ही की

मैं इतना भारी बनूँ के... "

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हनु= हनुमान
शीर-सागर= विष्णु भगवान् का वास स्थान
उथला- बहुत ही कम गहरा



चाँद का इंतज़ार | HINDI KAVITA

उम्मीद का सूरज उग आया 

इसमें प्रकाश है.. जीवन है 
पर भीषण तपन भी 
अब तो मुझे बस मोहब्बत के चाँद का इंतज़ार है 
ताकि इस जले हुए " मन " को कुछ तो राहत मिले
और जीने का ...

इस तपन को कल सुबह फिर से सहन करने का
हौसला मिले 

उम्मीद का सूरज उग आया 
इसमें प्रकाश है.. जीवन है 
पर भीषण तपन भी । 

Saturday, June 7, 2014

तेरी बेरुखी

तेरा हर तोहमत-ओ -इलज़ाम गवारा 
प्यारा है मुझे 
फ़िक्र-ओ -शुबा तो फ़क़त 
तेरी बेरुखी से है।