Saturday, August 23, 2014

वो जो बो गयीं थीं तुम | HINDI KAVITA


वो जो बो गयीं थीं तुम
मेरे मन के आँगन में
वो गुलाब की कलम

आज वो बन गयी है मेरे
इज़हार-ऐ -ज़ज़्बात की कलम
आज भी खुशबू है इसमें
तेरे पाक हसीन हाथों की
जो भी लिखता हूँ मैं उसे
इबादत* बना देती है
तेरे अहसास की कलम

वो जो बो गयीं थीं तुम
मेरे मन के आँगन में
वो गुलाब की कलम।
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kalam= ^ a small branch of gulaab
^^ wooden pen(made of wood)
*ibaadat= prayer
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Wednesday, August 20, 2014

एक नन्ही ख़ुशी

एक नन्ही ख़ुशी अभी 
आयी भी ना थी ,तेरी बाँहों में 
के दो दैत्य तूफ़ान आ गए 
पहले ही ,तेरी राहों में 
पर तू परेशान मत होना 
तू मेरी "छोटी" है 
और मेरा "बड़ा" वो है 
जो कहता है की 
"जो हूँ बस मैं हूँ 
बस मैं ही हूँ 
बाकी तो कुछ भी नहीं 
कुछ भी नहीं "


Monday, August 18, 2014

हम मुक्त रहें | HINDI KAVITA

" हम मुक्त रहें 
उन्मुक्त रहें 
जीवन में ना कभी 
सुस्त रहें 
जीवन की आपा-धापी में 
व्यस्त रहें पर 
चुस्त रहें 

जीवन है सुन्दर 
है सुशील ये 
लोहा भी है ये 
मोम भी है ये

लोहा जिस्म मे 
मोम सा दिल लिए
और आत्मा 
ईश्वरीय धुन लिए
सबसे मिलें हम 
सात्विक मन लिए
पवित्र बनें हम 
पवित्र जियें हम 

हम मुक्त रहें 
उन्मुक्त रहें 
जीवन में ना कभी 
सुस्त रहें 
जीवन की आपा-धापी में 
व्यस्त रहें पर 
चुस्त रहें "
  

Tuesday, August 12, 2014

ऐ चाँद | HINDI KAVITA







ऐ चाँद तेरा दीदार नहीं हो रहा 
ईद दूर है और अमावस्या की रात बहुत लम्बी 

पर क्या फ़र्क़ पड़ता है

हमको तो फ़क़त तेरे
दीदार का है शौक-ऐ -जुनूं
फिर मौत आये तो आये
क्या फ़र्क़ पड़ता है 

Monday, August 11, 2014

Tum Kyu Nahi Aayi | HINDI KAVITA




ये मदमाती बारिश तो आ गयी 
तुम अबतक नहीं आयीं  ?
विज्ञान तो कहता है 
बिजली आ जाती है 
बारिश से बहुत पहले ही 
पर तुम नहीं आयीं 

रौशनी सी कुछ दिख्खी तो थी 
पर मैं जान नहीं पाया शायद 
वो "आँखें" नहीं मिली ना अब तक 
तो पहचान नहीं पाया शायद 

देखो या तो वो आँखे दे दो वर्ना तो 
तुम भी साधारण से ही रहो