Saturday, August 11, 2018
आस
आस-ए -दीदार में
जिए जा रहा था मै
मरने सी हालत है अब
तेरे दीदार के बाद
फ़क़त एक ख़्वाइश है
तनहा मुलाकात की..बाकी
के फिर जी जाऊ
के मर जाऊ
मुझे फ़िक्र नहीं
जिए जा रहा था मै
मरने सी हालत है अब
तेरे दीदार के बाद
फ़क़त एक ख़्वाइश है
तनहा मुलाकात की..बाकी
के फिर जी जाऊ
के मर जाऊ
मुझे फ़िक्र नहीं
जान हो तुम
जान हो तुम
तुम जान लो
प्यार बेपनाह तुमसे
तुम मान लो
जान जा रही है मेरी
और मेरी जान बेख़बर बेपरवाह
चाहे झूठा ही सही..
फ़क़त एक बार अब तो
तुम भी मुझे अपनी जान मान लो
तुम जान लो
प्यार बेपनाह तुमसे
तुम मान लो
जान जा रही है मेरी
और मेरी जान बेख़बर बेपरवाह
चाहे झूठा ही सही..
फ़क़त एक बार अब तो
तुम भी मुझे अपनी जान मान लो
कुछ तो तुम भी कहा करो ज़ाना मेरी....
कुछ तो तुम भी कहा करो ज़ाना मेरी....
हँसते हँसते
वर्ना वो झील आँखे थक जाएँगी गुफ़्तगू ...
करते करते।
हँसते हँसते
वर्ना वो झील आँखे थक जाएँगी गुफ़्तगू ...
करते करते।
दिल के ज़ख़्म कुछ-कुछ भर रहे..
दिल के ज़ख़्म कुछ-कुछ भर रहे..
और धुँधला रहा तसव्वुर तेरा
एक ख़ंजर और अपनी तस्वीर भेजो
फिर से दर्द दहकाने के लिए...
दिल..बदन और रूह
तीनो को जिलाने के लिए..
मअन 🌙🌹
और धुँधला रहा तसव्वुर तेरा
एक ख़ंजर और अपनी तस्वीर भेजो
फिर से दर्द दहकाने के लिए...
दिल..बदन और रूह
तीनो को जिलाने के लिए..
मअन 🌙🌹
माना कि तुझसे कुछ पल बे-परवाह रहा हूँ मैं
माना कि तुझसे कुछ पल बे-परवाह रहा हूँ मैं
पर ख़ुद का भी कहाँ हर पल अपना रहा हूँ मैं
तू भी कहाँ कब ..वो शब्द कहती है कभी
ताउम्र ..वो एक शब्द सुनने को
जलता रहा हूँ मैं
माना कि तुझसे कुछ पल बे-परवाह रहा हूँ मैं
पर ख़ुद का भी कहाँ हर पल अपना रहा हूँ मैं।
पर ख़ुद का भी कहाँ हर पल अपना रहा हूँ मैं
तू भी कहाँ कब ..वो शब्द कहती है कभी
ताउम्र ..वो एक शब्द सुनने को
जलता रहा हूँ मैं
माना कि तुझसे कुछ पल बे-परवाह रहा हूँ मैं
पर ख़ुद का भी कहाँ हर पल अपना रहा हूँ मैं।
तुझको देखा तो
तुझको देखा तो
फिर....किसी और को
फिर....किसी और को
कहाँ देखा.....
बेमुर्रवत चाँद भी कहता रहा....
मैं चाँद हूँ.....
मैं चाँद हूँ...
मैं.......
बेमुर्रवत चाँद भी कहता रहा....
मैं चाँद हूँ.....
मैं चाँद हूँ...
मैं.......
तेरी आँखों में एक तूफ़ानी नदी दिखती है
ये कविता मैंने 2 -3 साल पहले लिखी थी
(यानि CORONO आने से काफी पहले)
मैं जब भी किसी सार्वजनिक जगह पे होता हूँ तो
अक्सर लोगों के चेहरों को गौर से देखता हूँ
और अधिकतर लोगों को उदास और चिंतित ही पाता हूँ
रेड लाइट पे रुकते ही ये साफ़ दीखता है फिर चाहे कोई महंगी कार चला रहा हो,या फिर टेम्पो या फिर इ-रिक्शा
सबके चेहरे पे चिंता,दुःख,उदासी है और अपने ही में खोये से
जैसे के शरीर से यहाँ होते हुए भी मन से किसी और ही जगह हों ,चिंतित हों
ऐसा ही नज़ारा एयरपोर्ट पे अपनी फ्लाइट का इंतज़ार करते लोगों में भी दिखता है
तो फिर पैसे का कम या ज्यादा होना तो इसका कारण नहीं हो सकता
ये कुछ और ही है
(केवल बच्चे इस प्रभाव से अलग प्रफुल्लित दीखते हैं
तो फिर हमें अपने बचपन को ढूंढ कर मुस्कुराते रहना होगा )
-----------------------------------------------------------------------
तेरी आँखों में एक तूफ़ानी नदी दिखती है
जैसे कही दौड़ के पहुंचने की उफन सी है
तू कहाँ देखता है किसी दूसरे के चेहरे को
लगता है तुझे अपने ही चेहरे से नफ़रत सी है
तेरे माथे की शिकन अब ,वाबस्ता लकीरें बन चुकी
हर पल की तेरी सोच इसे और पकाती सी है
एकटक तेरा देखते रहना ,अपने ही मोबाइल में
जैसे किसी बुरी ख़बर को पाने की हड़बड़ी सी है
या उसमें ढूँढते रहना किसी अनजाने को
वो जो तुझे ताक रहा कनखियों से,फिर उसका क्या है :)
क्या खो जाएगा तेरा तू आगे बढ़ बच्चा बनकर
पहल कौन करे वोभी यही सोच रहा अच्छा बनकर
उठ..चल..हाथ बढ़ा..एक मुस्कुराहट तू पहन
सब बन जाएँगे तेरे, तू कर उम्मीद और जतन
ज़्यादा ना सोच..इस पल में जी..जो पल बस अभी बीत रहा
इस पल ही में जीवन है इसके सिवा तो कुछ भी नहीं
तू जैसा है ...जहाँ है ..वही से आगे तू निकल
तू ना जीत सके इतना अजेय तो कुछ भी नहीं
तेरी आँखों में एक तूफ़ानी नदी दिखती है
जैसे कही दौड़ के पहुंचने की उफन सी है।
(यानि CORONO आने से काफी पहले)
मैं जब भी किसी सार्वजनिक जगह पे होता हूँ तो
अक्सर लोगों के चेहरों को गौर से देखता हूँ
और अधिकतर लोगों को उदास और चिंतित ही पाता हूँ
रेड लाइट पे रुकते ही ये साफ़ दीखता है फिर चाहे कोई महंगी कार चला रहा हो,या फिर टेम्पो या फिर इ-रिक्शा
सबके चेहरे पे चिंता,दुःख,उदासी है और अपने ही में खोये से
जैसे के शरीर से यहाँ होते हुए भी मन से किसी और ही जगह हों ,चिंतित हों
ऐसा ही नज़ारा एयरपोर्ट पे अपनी फ्लाइट का इंतज़ार करते लोगों में भी दिखता है
तो फिर पैसे का कम या ज्यादा होना तो इसका कारण नहीं हो सकता
ये कुछ और ही है
(केवल बच्चे इस प्रभाव से अलग प्रफुल्लित दीखते हैं
तो फिर हमें अपने बचपन को ढूंढ कर मुस्कुराते रहना होगा )
-----------------------------------------------------------------------
तेरी आँखों में एक तूफ़ानी नदी दिखती है
जैसे कही दौड़ के पहुंचने की उफन सी है
तू कहाँ देखता है किसी दूसरे के चेहरे को
लगता है तुझे अपने ही चेहरे से नफ़रत सी है
तेरे माथे की शिकन अब ,वाबस्ता लकीरें बन चुकी
हर पल की तेरी सोच इसे और पकाती सी है
एकटक तेरा देखते रहना ,अपने ही मोबाइल में
जैसे किसी बुरी ख़बर को पाने की हड़बड़ी सी है
या उसमें ढूँढते रहना किसी अनजाने को
वो जो तुझे ताक रहा कनखियों से,फिर उसका क्या है :)
क्या खो जाएगा तेरा तू आगे बढ़ बच्चा बनकर
पहल कौन करे वोभी यही सोच रहा अच्छा बनकर
उठ..चल..हाथ बढ़ा..एक मुस्कुराहट तू पहन
सब बन जाएँगे तेरे, तू कर उम्मीद और जतन
ज़्यादा ना सोच..इस पल में जी..जो पल बस अभी बीत रहा
इस पल ही में जीवन है इसके सिवा तो कुछ भी नहीं
तू जैसा है ...जहाँ है ..वही से आगे तू निकल
तू ना जीत सके इतना अजेय तो कुछ भी नहीं
तेरी आँखों में एक तूफ़ानी नदी दिखती है
जैसे कही दौड़ के पहुंचने की उफन सी है।
एक दिन
एक दिन
मैं फ़ज़ाओं में बिखर जाऊंगा
तब ना रहेगा ये बदन मेरा
और नाही कोई भरम मेरा
ना मेरा चेहरा
मैं फ़ज़ाओं में बिखर जाऊंगा
तब ना रहेगा ये बदन मेरा
और नाही कोई भरम मेरा
ना मेरा चेहरा
ना ही कोई खूबसूरती-बदसूरती
तब सिर्फ़ ख़ुशबू रह जाएगी
तब सिर्फ़ ख़ुशबू रह जाएगी
सोंधी-सोंधी
तेरे प्यार की
तेरे प्यार की
महफ़िल में चली बात
महफ़िल में चली बात
सबसे ख़ूबसूरत कौन ?
किसी ने कहा फ़ूल
किसी ने कहा चाँद
हम बेबस दीवाने तेरे
मलिका-ए-हुस्न को दिल में छुपाये बैठे है
पर दिखा ना सके
और रह गए मौन 😊
-मअन 🌙🌹
सबसे ख़ूबसूरत कौन ?
किसी ने कहा फ़ूल
किसी ने कहा चाँद
हम बेबस दीवाने तेरे
मलिका-ए-हुस्न को दिल में छुपाये बैठे है
पर दिखा ना सके
और रह गए मौन 😊
-मअन 🌙🌹
जैसी सचमें तू
रंग रजत तेरा
रंग श्याम मेरा
रंग गुलाब तेरे गाल
रंग जर्द मेरा हाल
रंग सागर तेरी आँखें
रंग बादल मेरी आहें
रंग स्वर्ण तेरा जीवन
रंग पीत जैसा मेरा मन
हर रंग तुझमें
हर रंग तुझसे
इंद्रधनुष कर पाए "शायद"
तुझको पूर्णतः परिभाषित
जैसा तेरा तन
जैसा तेरा मन
जैसी तेरी रूह
अद्बुध सचमुच तू
अभिलाषित...अभिलाषित...
जीवन पर्यन्त अभिलाषित।
रंग श्याम मेरा
रंग गुलाब तेरे गाल
रंग जर्द मेरा हाल
रंग सागर तेरी आँखें
रंग बादल मेरी आहें
रंग स्वर्ण तेरा जीवन
रंग पीत जैसा मेरा मन
हर रंग तुझमें
हर रंग तुझसे
इंद्रधनुष कर पाए "शायद"
तुझको पूर्णतः परिभाषित
जैसा तेरा तन
जैसा तेरा मन
जैसी तेरी रूह
अद्बुध सचमुच तू
अभिलाषित...अभिलाषित...
जीवन पर्यन्त अभिलाषित।
बढ़ती उम्र महरूफ़ जिंदगानी
बढ़ती उम्र
महरूफ़ जिंदगानी
ज़हन में बस
हमारी अधूरी कहानी
ख़ुद से ही करता रहता हूँ
बेवजह तुम्हारी बातें..
ये बेवजह की बाते
ये बेसबब यादें
सुनो यही तो इश्क़ है
कहीं अब तुम्हें भी तो नहीं...
हो गया हो शायद.
महरूफ़ जिंदगानी
ज़हन में बस
हमारी अधूरी कहानी
ख़ुद से ही करता रहता हूँ
बेवजह तुम्हारी बातें..
ये बेवजह की बाते
ये बेसबब यादें
सुनो यही तो इश्क़ है
कहीं अब तुम्हें भी तो नहीं...
हो गया हो शायद.
Subscribe to:
Posts (Atom)