Saturday, July 26, 2014

दिल के लगाने के लिए | HINDI KAVITA


दिल के लगाने के लिए 
तेरा ही तसव्वुर , हर दीवाने को 

अब शिकवा करूँ
तो किस किस से करूँ 

अब शिकवा करूँ

तो किस किस से करूँ 
जबकी मुझको भी है मालूम
की सारे जहाँ की
नज़ाकत ,
नफासत ,
हसीनियत ,
सिमट के रह गयी
फ़क़त आपके किरदार में ही
तो बस
आपकी ही तम्मन्ना
आपका ही ख़याल
हर पागल परवाने को

दिल के लगाने के लिए 
तेरा ही तसव्वुर , हर दीवाने को। 


Tuesday, July 22, 2014

हर गुफ्तगू के पहर (sher)


हर गुफ्तगू के पहर,
तुम्हारा वो झूठा गुस्सा

"तुमने ऐसा क्यूँ कहा ? "
"तुमने ऐसा क्यूँ किया  ? "
"अब फिर से क्यूँ ? "
"आज के बाद तो कभी नहीं "


मैं हर हुक्म बजा लाता तेरा ,
खुदा जान के 
तुम क्यूँ नहीं बन गयी थी ,
रहबर मेरी
तुम साथ तो चलती बनकर ,
हमसफर मेरी।