Tuesday, August 4, 2015

वो जो बो गयी थी कभी तुम...मेरे मन के आँगन में



वो जो बो गयी थी कभी तुम...
मेरे मन के आँगन में
वो गुलाब की कलम

आज वो बन गयी 
मेरे इज़हार-ए-जज़्बात की कलम

आज भी खुशबू है इसमें 
तेरे पाक हसीं हाथो की
जो भी लिखता हूँ उसे 
इबादत बना देती है
तेरे अहसास की कलम

वो जो बो गयी थी कभी तुम...
मेरे मन के आँगन में.......