Friday, March 29, 2024

aapka rang | hindi kavita



 हज़ारों रंग बिखरे हुए हैं दुनिया में 

कोई रंग ऐसा कहाँ जो उनके रंग को व्यक्त करे 

उन आँखों में मदहोशी भी है और इन्द्रधनुषी सपने भी 

कोई कवि ऐसा कहाँ जो उनकी ख़ूबसूरती  को अभिव्यक्त करे।

( Poet - Manoj Gupta )

#man0707

Monday, March 25, 2024

रंग दीनो अपने ही रंग | HINDI KAVITA


 


" सखी री , भोर भये कान्हा मोहे , रंग दीनो अपने ही रंग

दूध दही माखन मोरा खायो , और पिलाई मोहे भांग

अब मोहे ना कोई सुधबुध , ना कोई रयो अब मोरे संग

सगरा जगत आये रहा , मोपे रंग डारन को

अब तू ही बता इ कैसे होई , क्योंकि

जोन होए श्याम रंग , ओपे चढ़े कौन रंग

और ओके लिये का सगरी दुनिया कौ धन

और का सगरी दुनिया को संग


सखी री , भोर भये कान्हा मोहे , रंग दीनो अपने ही रंग "

Friday, March 15, 2024

पत्ते | HINDI KAVITA


 

" पत्ते आज भी वहीँ बिखरे पड़े हैं

जिस राह पर कल हम साथ चले थे 

पत्ते पूछ रहे , क्यों आये हो तुम आज अकेले ?

मैं कैसे कहूँ  , अलग अलग राहों पे हम निकल चलें हैं 


पत्ते आज भी वहीँ बिखरे पड़े हैं

जिस राह पर कल हम साथ चले थे "

Tuesday, March 12, 2024

प्रेम पर अब मैं क्या लिखूं | HINDI KAVITA




प्रेम पर अब मैं क्या लिखूं 

प्रेम पर सब कुछ लिखा जा चुका 

अठारवीं सदी से लेकर आज तक 

करोड़ों सतहों को कुरेदा , उकेरा जा चुका 

तेरा .. मेरा .. उनका , हम सब का प्रेम है अपना अपना 

असल में प्रेम कुछ नहीं , बस है एक सुन्दर सलोना सपना 

पवित्र ह्रदय के मानव बनें हम , चाहिये बस इतना ही 

जैसा सलूक हम खुद से करें , दूसरों से भी वैसा ही 


प्रेम पर अब मैं क्या लिखूं 

प्रेम पर सब कुछ लिखा जा चुका 

अठारवीं सदी से लेकर आज तक 

करोड़ों सतहों को कुरेदा , उकेरा जा चुका .